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परीक्षा संस्थाओं के लिए चुनौती है भर्ती माफियायों का नेटवर्क

पहली बार उप्र लोक सेवा आयोग की किसी परीक्षा में इस नेटवर्क की पहुंच हुई है जो सीबीआइ की जांच का सामना कर रही इस संस्था के लिए खतरे की घंटी है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Mon, 30 Jul 2018 08:42 PM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2018 07:14 AM (IST)
परीक्षा संस्थाओं के लिए चुनौती है भर्ती माफियायों का नेटवर्क
परीक्षा संस्थाओं के लिए चुनौती है भर्ती माफियायों का नेटवर्क

लखनऊ [हरिशंकर मिश्र]। उप्र लोक सेवा आयोग की एलटी ग्रेड सहायक शिक्षक परीक्षा में एसटीएफ ने सॉल्वरों का गिरोह पकड़कर बड़ी सफलता हासिल जरूर की है लेकिन, भर्ती माफिया का नेटवर्क उसके लिए अब भी बड़ी चुनौती है। पिछले एक दशक में इस नेटवर्क ने रेल भर्ती से लेकर कर्मचारी चयन आयोग की कई परीक्षाओं में सेंध लगाई है लेकिन, सिर्फ छोटी मछलियों तक ही हाथ डाले जा सके हैं। पहली बार उप्र लोक सेवा आयोग की किसी परीक्षा में इस नेटवर्क की पहुंच हुई है जो सीबीआइ की जांच का सामना कर रही इस संस्था के लिए खतरे की घंटी है।

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पुलिस और सीबीआइ की अब तक की जांच में यह सामने आ चुका है कि यह नेटवर्क प्रदेश के बाहर से चलाया जा रहा है। इलाहाबाद में इसका तंत्र इसलिए मजबूत है क्योंकि वहां एक नहीं कई भर्ती बोर्ड हैं। इससे पहले भर्ती माफिया के निशाने पर कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाएं रहा करती थीं। इस आयोग की सभी मुख्य परीक्षाओं में सॉल्वरों की मदद से नकल कराने के मामले पूर्व में प्रकाश में आ चुके हैं।

2012 और 2014 में आयोजित स्टेनोग्राफर और मल्टी टास्किंग परीक्षा में सॉल्वरों को बैठकर परीक्षा दिलाने के एक मामले में सीबीआइ ने गत मार्च में ही दिल्ली में एक दर्जन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इससे पहले जांच में यह सामने आया था कि गिरोह के लोग हरियाणा से ऑपरेट करते थे। हाइटेक तरीके से नकल को अंजाम देने के लिए नोएडा में भी उनका एक केंद्र प्रकाश में आया था।

पूर्व में इस भर्ती माफिया ने रेल भर्ती की परीक्षाओं और पुलिस भर्ती को भी निशाना बनाया। इलाहाबाद में इस परीक्षा में गड़बड़ी कराने वाले कई लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैैं। 2008 में असिस्टेंट लोको पायलट परीक्षा का पेपर लीक हुआ था। 2014 में भी रेल भर्ती परीक्षा में सॉल्वर पकड़े गए थे। इसके बावजूद नेटवर्क सक्रिय रहा।

अब उप्र लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में इस नेटवर्क की पहुंच के बाद अन्य परीक्षा संस्थाओं के लिए शुचिता का बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्च शिक्षा सेवा आयोग जैसी भर्ती संस्थाएं जिन पर पहले से ही कई दाग हैं, की परीक्षाओं के सामने अपनी भर्तियों को इस नेटवर्क से बचाने की बड़ी चुनौती है।


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