Move to Jagran APP

महागठबंधन में कांग्रेस ही नहीं, बसपा और रालोद से सामंजस्य सपा के लिए चुनौती

सपा और बसपा अभी नीतिगत आधार पर एक होने की बात कह रहे हैं लेकिन, सीटों पर बात होनी अभी बाकी है, जिसमें पेच फंसना तय माना जा रहा है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 12:44 PM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 12:44 PM (IST)
महागठबंधन में कांग्रेस ही नहीं, बसपा और रालोद से सामंजस्य सपा के लिए चुनौती
महागठबंधन में कांग्रेस ही नहीं, बसपा और रालोद से सामंजस्य सपा के लिए चुनौती

लखनऊ (जेएनएन)। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के मुकाबले भानुमती का कुनबा जोडऩे की कोशिशों में जुटी समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की कमजोर नब्ज पर वार करके यह संकेत दे दिया है कि महागठबंधन के लिए सीटों की फांस गहरी हो सकती है। सपा और बसपा अभी नीतिगत आधार पर एक होने की बात कह रहे हैं लेकिन, सीटों पर बात होनी अभी बाकी है, जिसमें पेच फंसना तय माना जा रहा है। रालोद भी अधिक हासिल करने की कोशिश में जुटेगा।

loksabha election banner

कांग्रेस यूपी में कमजोर है और उसकी इस स्थिति को देखते हुए ही सीटें दिए जाने की बात सपा ने उछाली है। रायबरेली और अमेठी को छोड़कर उसके पास गिनाने के लिए कुछ भी नहीं। इसी वजह से सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान को इस बात की पेशबंदी माना जा रहा है कि कांग्रेस अधिक की उम्मीद न करे। इसकी एक वजह यह भी है कि गठबंधन की स्थिति में बसपा 40 सीटों से कम पर किसी कीमत पर राजी होने को तैयार नहीं होगी।

खुद मायावती भी कह चुकी हैं कि सम्मानजनक स्थितियों में ही समझौता होगा। ऐसी स्थिति में कांग्रेस और रालोद दोनों को सपा अपने हिस्से की सीटें देने के लिए बाध्य होगी। बता दें कि गत विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के सहयोग से लड़ा था लेकिन, दोनों 54 सीटों पर ही सिमट गई थीं। कांग्रेस के तो महज सात विधायक ही जीत पाए थे। बसपा को भी महज 19 सीटें ही हासिल हुई थीं लेकिन, उसका अपने बेस वोट बैंक पर कब्जा बरकरार रहा।

सपा अध्यक्ष अखिलेश विधानसभा चुनाव के परिणाम से सबक लेते हुए राजनीतिक हैसियत के हिसाब से ही सीटों की हिस्सेदारी की बिसात बिछा रहे हैं। इसी नजरिए से उन्होंने कांग्रेस को कम सीटें दिए जाने का संकेत दिया है लेकिन, महागठबंधन के लिए अभी उन्हें बसपा और रालोद के मोर्चे से निपटना बाकी है। पिछले दिनों लोकसभा के तीन उपचुनाव और विधानसभा के एक उपचुनाव में बसपा ने अपने वोटों को सपा और उसके सहयोगी दलों के लिए ट्रांसफर कराकर अपनी ताकत का अहसास कराया है और सीटों की सौदेबाजी में वह पीछे हटने को शायद ही तैयार हो। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.