केंद्रीय हिंदी संस्थान बनाएगा UP की विभिन्न लोकभाषाओं का त्रिभाषी लोक शब्दकोष, शुरू हुआ संपादन
शब्दकोश भोजपुरी हिंदी और अंग्रेजी का प्रकाशन किया जा चुका है और दो शब्दकोश ब्रजभाषा हिंदी अंग्रेजी और राजस्थानी (मारवाड़ी) हिंदी अंग्रेजी मुद्रित होने जा रहे हैं। अब अवधी और बुंदेली के लोक शब्दकोशों की संपादन प्रक्रिया आरंभ की जा रही है।
लखनऊ, जेएनएन। केंद्रीय हिंदी संस्थान के अनुसंधान एवं भाषा विभाग के द्वारा संचालित हिंदी लोक शब्दकोश परियोजना के अंतर्गत हिंदी की विभिन्न लोकभाषाओं के त्रिभाषी लोक शब्दकोशों का निर्माण किया जा रहा है। अब तक शब्दकोश भोजपुरी, हिंदी और अंग्रेजी का प्रकाशन किया जा चुका है और दो शब्दकोश ब्रजभाषा, हिंदी, अंग्रेजी और राजस्थानी (मारवाड़ी) हिंदी, अंग्रेजी मुद्रित होने जा रहे हैं। अब अवधी और बुंदेली के लोक शब्दकोशों की संपादन प्रक्रिया आरंभ की जा रही है। इस क्रम में इन लोक शब्दकोशों को व्यवस्थित रूप देने के लिए भाषा संपादकों को कार्य दायित्व सौंपा जाना है। इसकी जिम्मेदारी अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष डा राम बहादुर मिश्र को सौंपी गई है।
अवधी भाषा के भाषिक चिंतन क्षेत्र में निरंतर कार्य और दीर्घकालीन अनुभवों को देखते हुए उन्हें ये जिम्मेदारी दी गई है। राम बहादुर मिश्र कहते हैं- लोक शब्दकोशों को व्यवस्थित रूप देने की पहल सराहनीय है। भाषा संपादन का मुख्य कार्य बड़ी जिम्मेदारी है। उत्तर प्रदेश लोक भाषाओं की जननी जैसी है, इसलिए भी ये जरूरी है। संस्थान द्वारा उपलब्ध कराए गए शब्दकोश के प्रांरभिक प्रारूप के आधार पर उसे संबंधित लोकभाषा के पूर्ण प्रकाशन योग्य शब्दकोशों के रूप में संपादित किया जाएगा। आवश्यकतानुसार परियोजना के अंतर्गत कोश निर्माण की कार्य प्रणाली के बारे में सुझाव भी देंगे।
अवधी की पुनप्र्रतिष्ठा के लिए प्रयासरत रामबहादुर मिश्र ने 2009 और 2016 में अवधी के मूर्धन्य साहित्यकार जगदीश पीयूष के निर्देशन में भारत और नेपाल के 32 अवधी भाषा भाषी जनपदों में अवधी जनजागरण यात्रा निकाली थी। लोक भाषाओं के उत्थान के लिए भी उल्लेखनीय काम किया है।