कई सूबों ने भूगर्भ जल से धोया हाथ, इन 17 जिलों पर गहराया भूजल का संकट Lucknow News
केंद्रीय भूजल बोर्ड की ताजा रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े। खतरनाक स्थिति अब दे रही त्रासद संकेत।
लखनऊ [रूमा सिन्हा]। भूजल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूं ही चिंतित नहीं हैं। केंद्रीय भूजल बोर्ड की ताजा रिपोर्ट भी हालात बद से बदतर होने की गवाही दे रही है। कई राज्यों में भूगर्भ का यह खजाना खाली हो चुका है। खतरनाक स्थिति अब त्रासद संकेत दे रही है।
भूजल आकलन रिपोर्ट-2017 के मुताबिक, 2013 में देश में भूजल उपलब्धता 411 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) थी। 2017 में यह 396 बीसीएम रह गई है। इस अरसे में 503 नए विकासखंड भूजल संकट से घिर गए हैं। 2013 में भूजल संकटग्रस्त ब्लॉकों की संख्या 1968 थी, जो 2471 हो चुकी है। भूजल से समृद्ध माने जाने वाले बिहार में भी संकट दस्तक दे रहा है। पश्चिमी उप्र, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु में भूजल संकट और अधिक गहरा गया है। इस रिपोर्ट केअनुसार देश में भूजल दोहन की दर चार साल में 61.55 फीसद से बढ़कर 63.33 फीसद हो गई है।
पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली में दोहन चिंताजनक
वार्षिक भूजल रीचार्ज के 70 से 90 फीसद दोहन वाले क्षेत्र सेमी क्रिटिकल श्रेणी में आते हैं। 90 से 100 फीसद दोहन वाले इलाके क्रिटिकल श्रेणी में रखे जाते हैं। इससे अधिक दोहन वाले क्षेत्र अति दोहित माने जाते हैं। बेहिसाब दोहन में पंजाब शीर्ष पर है। यहां दोहन की दर 165.77 प्रतिशत आंकी गई है। दूसरे नंबर पर राजस्थान 139.88 फीसद भूजल दोहन कर रहा है। हरियाणा में 136.91 और दिल्ली में यह दर 119.61 प्रतिशत है। हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ और पुडुचेरी 70 फीसद से ज्यादा दोहन कर रहे हैं। हालांकि, देश में भूजल दोहन 2013 के 253 के मुकाबले 2017 में 248.69 बीसीएम आंका गया है।
उप्र के 17 जिलों में भूजल संकट गहराया
चार वर्ष में उप्र में भूजल रीचार्ज में 1.58 और भूजल दोहन में 6.9 बीसीएम की कमी आई है। हालांकि, इसके बाद भी आगरा, बुलंदशहर, फिरोजाबाद, गौतमबुद्धनगर, हाथरस, मैनपुरी, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, संभल, अमरोहा, जौनपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, कानपुर नगर और महोबा आदि जिलों में भूजल संकट गहराया है।
क्या कहते हैं अफसर ?
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड क्षेत्रीय निदेशक उत्तरी वाईबी कौशिक के मुताबिक, कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक भूजल दोहन होता है। स्प्रिंकलर और ड्रिप विधि से सिंचाई को बढ़ावा देकर हम इसको कम कर सकते हैं। इसके साथ ही दैनिक उपयोग में पानी की बर्बादी रोककर ही हम गहराते भूजल संकट से पार पा सकेंगे।