शब-ए-बरात पर लखनऊ रहा गुलजार, कब्रों पर चिराग जलाकर किया पुरखों को याद
लखनऊ शहर के कब्रिस्तान शाम से ही गुलजार हो उठे। बुजुर्गों की कब्रों पर रोशनी कर फूलों से सजाया गया। लोगों ने विशेष नमाज अदा कर बेहतर जिंदगी के साथ अल्लाह से मगफिरत की दुआएं मांगी।
लखनऊ, जेएनएन। मगफिरत की रात मुस्लिम समुदाय ने पुरखों को याद कर अल्लाह से गुनाहों की माफी तलब की। शब-ए-बरात पर शनिवार की शाम से ही शहर के कब्रिस्तान पूरी तरह गुलजार हो उठे। परिवार संग जाकर लोगों ने अपने पुरखों की कब्रों पर चिरागा किया। फूलों की महकती खुशबू के साथ कब्रों को रंगबिरंगी लाइटों से सजाया गया, फिर फातेहा पढ़कर अपने बुजुर्गों को ईसाल-ए-सवाब पेश किया। लोगों ने विशेष नमाज अदा कर बेहतर जिंदगी के साथ अल्लाह से मगफिरत की दुआएं मांगी।
त्योहार के चलते शाम से ही पुराने शहर स्थित कर्बला तालकटोरा, कर्बला मलका जहां, इमामबाड़ा गुफरानमआब, कर्बला अब्बासबाग व इमामबाड़ा आगाबाकर सहित ऐशबाग, बुलाकी अड्डा व बादशाहनगर सहित अन्य कब्रिस्तानों में भीड़ जुटने लगी। लोगों ने अपने पुरखों की कब्रों को तरह-तरह से सजाया। अगरबत्ती की महक के बीच कब्रों को फूलों से सजाया गया। इसके साथ किसी ने शमां (मोमबत्ती) तो किसी ने रंगबिरंगी लाइटों से कब्रों पर चिरागा किया। इसके बाद कब्र पर हाथ रखकर अपने पुरखों को याद कर फातेहा पेश किया। शहर के कब्रिस्तानों में यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा। साथ ही मस्जिदों में इबादत का दौर जारी रहा। लोगों ने मस्जिद में अल्लाह की इबादत में सिर झुकाकर अपने मगफिरत की दुआएं मांगी। इस बीच मस्जिदों में नमाजियों के खाने-पीने के लिए विशेष इंतजाम किए गए। देर रात तक पुराने शहर की सड़कों पर चहल पहल बनी रही।
आतिशबाजी कर मनाया जश्न
शिया समुदाय ने देर रात आतिशबाजी कर 12वें इमाम हजरत मेहंदी अलेहिस्सलाम की विलादत का जश्न मनाया। शिया समुदाय ने अपने घरों को रंगबिरंगी रोशनी से सजाकर खुशियां मनाईं। घरों में महिलाओं ने चने की दाल व सूजी के हलवे के साथ तरह-तरह का स्वादिष्ट व्यंजन पकाए, बाद में उन व्यंजनों पर इमाम की नज्र दिलाई गई।
सजी महफिलें, मनाई खुशियां
इमाम की विलादत के मौके पर खदरा स्थित कर्बला मलका आफाक (गारवाली कर्बला) में जश्न-ए-मसर्रत मनाया गया। दो दिवसीय महफिलों के पहले दिन मौलाना जाफर अब्बास व मौलाना अली मुत्तकी जैदी ने महफिल को खिताब कर इमाम के जहूर (अवतरित) होने के समय की निशानियां बयां कीं। देर रात तक कर्बला में जायरीनों का हुजूम उमड़ा रहा, लोगों ने जियारत कर दुआएं मांगी। ऐशबाग स्थित कर्बला मलका जहां में आयोजित जश्न-ए-वली-ए-अस्र मौलाना मिर्जा मुहम्मद अशफाक व मौलाना यासूब अब्बास ने महफिल पढ़ी। बाद में शायरों ने कलाम पेश किए। इसी तरह रौजा-ए-काजमैन, कर्बला दियानतुद्दौला बहादुर, इमामबाड़ा शाहनजफ, दरगाह हजरत अब्बास सहित कई जगह जश्न-ए-इमाम-ए-जमाना उनवान में महफिलें सजाकर खुशियां मनाई गईं।
गोमती में रोशन बजरा
मेहंदी घाट पर दरिया (गोमती) में बजरा रोशन रहा। महकते फूलों के साथ बजरे को रंगबिरंगी रौशनी से सजाया गया। मौलाना हसन जहीर ने बजरे पर इमाम की नज्र दी। शिया समुदाय ने बजरे की जियारत कर नज्र चखी। रात 12 बजे बजरे पर महफिल सजी, जिसमें शायरों ने इमाम की शान में कलाम पेश किए। बजरे की जियारत करने के लिए देर शाम से ही भीड़ जुटने लगी थी, जो गुजरते समय के साथ बढ़ती गई। रातभर जायरीनों ने मेहंदी घाट पहुंचकर बजरे की जियारत की और बेहतर जिंदगी के लिए इमाम से दुआएं मांगी। वहीं, देर रात गोमती नदी में अरीजा डालने का सिलसिला भी शुरू हो गया।
मदरसा छात्रों की दस्तारबंदी
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया फरंगी महल की ओर से ऐशबाग ईदगाह स्थित दारुल उलूम निजामिया फरंगी महल में किरत का मुकाबला हुआ। इस बीच मदरसे के बच्चों ने अपने खास अंदाज में किरत सुनाई। वहीं, कुरआन शरीफ हिफ्ज करने पर कई छात्रों की दस्तारबंदी की गई। ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली व मौलाना मुहम्मद मुश्ताक ने दस्तारबंदी की रस्म अदा कर मदरसा छात्रों को कुरआन शरीफ याद करने की मुबारकबाद दी। इस मौके पर कारी मुहम्मद जुबैर कारी सरफराज आलम, कारी शकील दरयाबादी, कारी मुमताज हारून व कारी अब्दुर्रहमान सहित अन्य लोग शामिल रहे।