Ayodhya Verdict: रामनगरी के सबसे बड़ी खुशी का दिन लेकर आया अयोध्या का फैसला
अयोध्या में फैसला आते ही जश्न में डूबे साधु-संत। दीप जलाकर राम नगरी में मना जश्न।
अयोध्या, जेएनएन। शनिवार रामनगरी के लिए सबसे बड़ी खुशी का दिन साबित हुआ। दोपहर सुप्रीम फैसला आते ही जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य सहयोगियों के साथ रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष महंत जन्मेजयशरण के जानकीघाट बड़ास्थान स्थित आश्रम पर पहुंचे। उन्होंने महंत जन्मेजयशरण का मुंह मीठा करा खुशी साझा की। दोनों धर्माचार्यों ने इस दिन को ऐतिहासिक करार दिया।
दशरथमहल पीठाधीश्वर बिंदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य भी फैसला सुनकर अत्यंत गद-गद हो उठे। उनके कृपापात्र संत रामभूषणदास कृपालु ने उनका मुंह मीठा कराया, तो अगले पल ङ्क्षबदुगाद्याचार्य ने स्वयं मिष्ठान वितरित किया। कहा, यह क्षण हार-जीत परिभाषित करने वाला नहीं है।
दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास ने साकेतवासी गुरु रामचंद्रदास परमहंस को याद किया। कहा, यह स्वप्न साकार होने की बेला है। मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष रहे परमहंस के ही एक अन्य शिष्य नारायण मिश्र ने भी इस दिन को गुरु को समर्पित किया।
मणिरामदासजी की छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास ने कहा फैसले पर खुशी जाहिर की। इस मौके पर जुटे अविवि कार्यपरिषद के सदस्य केके मिश्र, आनंद शास्त्री, आकाशमणि त्रिपाठी आदि से मुखातिब महंत ने कहा, यह न्याय की जीत है। हर भारतवासी इसके साथ है। मंदिर के लिए 12 दिनों तक अनशन एवं आत्मदाह के एलान से सुर्खियों में रहे तपस्वीजी की छावनी के महंत परमहंसदास ने भी फैसले का स्वागत किया।
रामलला को मिली नई पोशाक
रामजन्मभूमि मुक्ति की खुशी में पं. कल्किराम ने मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास को उनके रामघाट स्थित आश्रम पहुंचकर रामलला की पोशाक भेंट की। उन्होंने कहा, इस मौके पर रामलला नई पोशाक के हकदार थे। उन्होंने इस अवसर को ऐतिहासिक और इस दौर में रामलला तादाम्य को स्वाभाविक बताया। मुख्य अर्चक ने कहा, रामजन्मभूमि विवाद सदियों से जिस संताप का सबब था, फैसला उस संताप से कई गुना अधिक खुशी देने वाला है।