IVF तकनीक में पारंगत होने के लिए CDRI करेगा मदद, डॉक्टरों को देगा चूहे से तैयार भ्रूण व Eggs
केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के वैज्ञानिकों ने चूहे का ऐसा विशेष भ्रूण व अंडाणु तैयार किया है जो कृत्रिम गर्भाधान की विभिन्न तकनीकों पर हाथ आजमाकर विशेषज्ञता हासिल करने की इच्छा रखने वाले चिकित्सकों के लिए यह वरदान साबित होगा।
लखनऊ [रूमा सिन्हा]। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के वैज्ञानिकों ने चूहे का ऐसा विशेष भ्रूण व अंडाणु तैयार किया है जो मानव से काफी मिलता जुलता है। कृत्रिम गर्भाधान की विभिन्न तकनीकों पर हाथ आजमाकर विशेषज्ञता हासिल करने की इच्छा रखने वाले चिकित्सकों के लिए यह वरदान साबित होगा। चिकित्सक सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) जैसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) व इंट्रा साइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आइसीएसआई) में इसकी मदद से महारत हासिल कर सकेंगे।
देश में सीडीआरआई द्वारा दी जाने वाली यह अपने तरीके की पहली सुविधा है। सीडीआरआई की एंडोक्राइनोलॉजी विभाग की डॉ. मोनिका सचदेव ने आईवीएफ और आईसीएसआई के साथ-साथ अन्य एआरटी सुविधाओं के प्रशिक्षण के लिए चूहे से संशोधित पशु अंडाणु और भ्रूण विकसित किए हैं। डॉ.सचदेव बताती है कि ये अंडाणु एवं भ्रूण, आकार, लोच आदि में लगभग मानव अंडे के समान हैं। इसलिए यह भ्रूणविज्ञानियों को अंडाणु एवं भ्रूण के साथ काम करने की वास्तविक अनुभूति कराएगा और कृत्रिम गर्भाधान तकनीक में महारत हासिल करने में मददगार होगा। उन्होंने बताया कि पशु अंडाणु और भ्रूण विशेष रूप से एआरटी प्रशिक्षण के लिए विकसित किए जाते हैं, ताकि भ्रूणविज्ञानी वास्तविक आईवीएफ क्लीनिक में मानव अंडे को छूने से पहले अच्छी तरह से प्रशिक्षित हो सकें। बीते कुछ दशकों में दुनिया भर में निःसंतान दंपतियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
एआरटी निःसंतान दंपतियों के बीच दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय हो रही है। एआरटी के लिए भ्रूणविज्ञानियों को मानव अंडे और भ्रूण को संभालने के लिए उनके कौशल और नियमित प्रशिक्षण की बहुत सटीक आवश्यकता होती है। मानव एआरटी का अभ्यास करने वाले केंद्रों में भ्रूण स्थानांतरण के लिए माइक्रोस्कोपी की सहायता से शुक्राणु और अंडे को युग्मित करना होता है। यह प्रक्रिया बेहद जटिल व संवेदनशील होती है जिसके लिए विशेषज्ञता जरूरी है। चूंकि इस क्षेत्र में विशेष रूप से भारत व अन्य विकासशील देशों में इस विधा में महारत हासिल करने हेतु कोई प्रशिक्षण मॉड्यूल या कार्यप्रणाली सामग्री आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। इसे देखते हुए सीडीआरआई ने पहल कर भ्रूणविज्ञानियों के लिए चूहे से अंडाणु व भ्रूण का वैज्ञानिक मॉडल तैयार किया है।
डॉ.सचदेव बताती हैं कि यह अंडक हल्के भूरे,गोल और लगभग 70-100 माइक्रॉन के लगभग मानव अंडों के समान व लचीले होते हैं। एक साल तक इन्हें चार डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर आसानी से विशेष रूप से तैयार किए मीडियम में रखा जा सकता है। दावा है किव्यावसायिक रूप से यह भ्रूणविज्ञानी प्रशिक्षण के लिए मानव अंडे और भ्रूण के लिए अच्छा विकल्प साबित होगा जो आईवीएफ क्लीनिकों में नियमित रूप से मानव और पशु भ्रूण को संभालने से पहले एम्ब्र्योलोजिस्ट प्रशिक्षण एवं प्रमाणीकरण के लिए भी सहायक होगा। आईवीएफ क्लीनिकों के अलावा ये अंडे और भ्रूण शोध में भी मददगार साबित होंगे।