उन्नाव कांड में सीबीआइ की प्रगति रिपोर्ट से हाईकोर्ट नाराज, अब 21 मई को सुनवाई
उन्नाव कांड में सीबीआइ अपनी स्टेटस रिपोर्ट हाई कोर्ट में दाखिल करेगी। उन्नाव की तत्कालीन एसपी पुष्पांजलि देवी से पूछताछ की तैयारी भी कर रही है।
लखनऊ (जेएनएन)। उन्नाव में सामूहिक दुष्कर्म कांड की जांच कर रही सीबीआइ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को प्रगति रिपोर्ट दाखिल की। जांच रिपोर्ट और सीबीआइ की शिथिल कार्यवाही पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हर बार कोर्ट से आदेश की अपेक्षा करने के बजाए सीबीआइ अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल कर कार्रवाई करे। कोर्ट ने पीडि़ता व रिश्तेदारों का बयान न लेने और लड़की के पिता की मौत के आरोपित पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी न होने पर नाराजगी जताई है।
मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने सीबीआइ की प्रगति रिपोर्ट पर कहा कि 20 जून 2017 को हुए सामूहिक दुष्कर्म कांड के आरोपियों की जमानत निरस्त करने की कार्यवाही क्यों नहीं की गई? सीबीआइ ने उन्नाव में चल रहे पॉक्सो केस के लखनऊ स्थानांतरण की मांग में अर्जी दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने आरोपितों को नोटिस जारी की है। कोर्ट ने पूछा कि आरोपित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व अन्य को उन्नाव जेल से लखनऊ जेल क्यों नहीं ले जाया गया। इस पर सीबीआइ के एसीपी ने एक हफ्ते में कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। अब सुनवाई 21 मई को होगी।
खंडपीठ के समक्ष पीडि़ता की मां की तरफ से अर्जी दाखिल कर बताया गया कि उसके पति यानी पीडि़ता के पिता के विरुद्ध फर्जी प्राथमिकी दर्ज कराने वाला टिंकू सिंह लापता है। इसमें भी विधायक का हाथ है। सीबीआइ इसकी भी जांच करे कि लापता टिंकू सिंह कहां है। कोर्ट ने सीबीआइ को पीडि़ता के बयान दर्ज कर हत्या के आरोपितों की गिरफ्तारी करने को कहा। लखनऊ खंडपीठ ने 20 जून 2017 को हुए सामूहिक दुष्कर्म कांड के आरोपितों के छह माह से जेल में बंद होने के आधार पर जमानत दे दी है। इस पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि तमाम अपराधों के तहत 15-20 साल से आरोपित जेल में है तो छह माह जेल में बंद होने के आधार पर सामूहिक दुष्कर्म कांड के आरोपितों की जमानत क्यों दे दी गई?
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता जीएस चतुर्वेदी, समित गोपाल, सीबीआइ के अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व पीडि़ता की मां की तरफ से डीआर चौधरी ने पक्ष रखा। चौधरी का कहना था कि नामित अभियुक्त मनोज सिंह सेंगर की गिरफ्तारी नहीं की गई है। उसके पिता की हत्या करने के आरोपितों की भी गिरफ्तारी नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा कि आम्र्स एक्ट की फर्जी प्राथमिकी के पीछे कौन है, इसका भी पता लगाया जाए। साथ ही पीडि़ता का बयान दर्ज कर आरोपितों के हिसाब से ठोस कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने रेप के आरोपितों की जमानत निरस्त न कराने को शॉकिंग करने वाला बताते हुए सीबीआइ को कानून के तहत कार्रवाई कर 15 दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।