Scam In UP: अखिलेश से बढ़ती नजदीकियों के बीच गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में शिवपाल पर शिकंजा कस सकती है सीबीआइ
अखिलेश और शिवपाल यादव के बीच 2017 यूपी विधान सभा चुनाव के दौरान आई दूरियां अब घटने लगी हैं। पांच दिसंबर को होने वाले मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव में डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद शिवपाल बहू के लिए घूम-घूम कर वोट मांग रहे हैं।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। Gomti Riverfront Scam प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की सुरक्षा कम किए जाने के बाद अब उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। सपा शासनकाल में हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआइ तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव की भूमिका की जांच शुरू कर सकती है।
रिवरफ्रंट घोटाला में दो पूर्व आइएएस भी सीबीआइ के रडार पर
सीबीआइ वर्ष 2017 से गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि गृह विभाग ने बीते दिनों सिंचाई विभाग से गोमती रिवरफ्रंट के निर्माण कार्यों के लिए गठित की गई उच्च स्तरीय टास्क फोर्स की बैठकों से जुड़े कुछ दस्तावेज मांगे हैं, जिसके आधार पर माना जा रहा है कि जल्द जांच में तेजी आ सकती है। सपा शासनकाल में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे दो पूर्व आइएएस अधिकारियों की भूमिका भी जांच के घेरे में है।
सीबीआइ ने 2021 में मांगी थी राज्य सरकार से जांच की अनुमति
सीबीआइ ने नवंबर, 2021 में राज्य सरकार से तत्कालीन सिंचाई मंत्री, तत्कालीन मुख्य सचिव व प्रमुख सिंचाई तथा मुख्य सचिव रहे एक अन्य अधिकारी के विरुद्ध जांच शुरू करने की अनुमति मांगी थी। गोमती रिवरफ्रंट के निर्माण में करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप हैं और ईडी ने भी इस मामले में मार्च, 2018 में मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर अपनी जांच शुरू की थी। सिंचाई विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव दीपक सिंघल थे और मुख्य सचिव के पद पर आलोक रंजन तैनात थे (अब दोनों सेवानिवृत्त)। दोनों पूर्व अधिकारी टास्क फोर्स का अहम हिस्सा थे। हालांकि अब तक उनके विरुद्ध जांच की अनुमति नहीं मिली है।
सिंचाई विभाग से टास्क फोर्स की बैठकों का कार्यवृत्त मांगे जाने के बाद बढ़ी आशंका
अब शासन ने सिंचाई विभाग से टास्क फोर्स की बैठकों के कार्यवृत्त व संबंधित रिकार्ड मांगे हैं, जिससे पूर्व मंत्री व संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच हो सके। टास्क फोर्स का गठन 2015 में तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुआ था, जिसमें सिंचाई विभाग के तत्कालीन अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ जांच में सामने आया था कि कई मौखिक निर्देशों पर टेंडर की शर्तों में परिवर्तन किए गए थे। भुगतान में भी गड़बडि़यां सामने आई थीं।
गोमती रिवरफ्रंट घोटाला में हो चुकी हैं कई गिरफ्तारी
रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआइ पूर्व में शिवपाल यादव के करीबी अधिकारियों में गिने जाने वाले सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव समेत अन्य आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। शिवपाल की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से बढ़ी नजदीकियों के बाद राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ी हैं। चाचा-भतीजे के बदले रिश्तों को लेकर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोमवार को तीखा हमला भी बोला था। शिवपाल की सुरक्षा जेड श्रेणी से घटाकर वाई श्रेणी की किए जाने पर मौर्य ने ट्वीट कर कहा था कि पहले शिवपाल यादव को अपने भतीजे अखिलेश यादव और सपा के अपराधियों से खतरा था। अब दोनों में मिलाप हो गया है तो सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा टल गया है।