यूपी में सियासी सरगर्मी और बढ़ा सकती हैं सीबीआइ जांचें, जांच एजेंसी जुटा रही साक्ष्य
सपा और बसपा शासनकाल में हुए घोटालों की जांच में नेताओं के साथ ही कई अधिकारियों पर भी कानूनी शिकंजा कसेगा।
लखनऊ, जेएनएन। यूपी में कई घोटालों में सीबीआइ जांच के कदम आगे बढ़ाने के साथ ही सियासी सरगर्मी और बढ़ेगी। सपा और बसपा शासनकाल में हुए घोटालों की जांच में नेताओं के साथ ही कई अधिकारियों पर भी कानूनी शिकंजा कसेगा। गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की जांच में सीबीआइ शुरुआती पड़ताल के आधार पर साक्ष्य जुटा रही है। बताया गया कि अगले चरण में संदेह के घेरे में आये अधिकारियों से पूछताछ का सिलसिला शुरू होगा।
बसपा शासनकाल में हुए चीनी मिल घोटाले का केस सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने दर्ज किया है। प्रदेश सरकार की संस्तुति के करीब एक साल बाद सीबीआइ के एफआइआर दर्ज करने पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रेसवार्ता कर सवाल भी उठाये। मायावती ने जांच एजेंसी की कार्रवाई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। ऐसे ही गोमती रिवरफ्रंट व खनन घोटाले की सीबीआइ जांच को लेकर भी सवाल उठाए जा चुके हैं।
पूर्ववर्ती सरकारों में हुए घोटालों की जांचों को सियासी रंगों से जोड़ा गया। हालांकि आरोप-प्रत्यारोप के बीच जांच एजेंसी अपनी कार्रवाई के कदम बढ़ाती रही। सीबीआइ ने बीते दिनों खनन घोटाले में केस दर्ज कर आइएएस अधिकारी बी.चंद्रकला समेत अन्य आरोपितों के ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसके बाद भी यूपी में सियासी घमासान सामने आया था। सीबीआइ दिल्ली ने 2008 बैच की आइएएस अधिकारी बी.चंद्रकला व सपा एमएलसी रमेश मिश्रा समेत 11 आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज किया था, जिसकी सिलसिलेवार जांच चल रही है।
दरअसल, हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने वर्ष 2012 से 2016 के बीच खनन में हुई धांधली को लेकर की गई शिकायतों पर प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कर जांच शुरू की थी। खनन घोटाले में सपा सरकार के कई तत्कालीन मंत्रियों व अफसरों पर शिकंजा कस सकता है। इसके अलावा सीबीआइ उप्र लोक सेवा आयोग भर्ती घोटाले की जांच भी कर रही है। माना जा रहा है कि चुनाव के चलते इन जांचों के कदम ज्यादा तेजी से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद जांच एजेंसी की रफ्तार बढ़ेगी। दूसरी ओर राज्य सरकार दिल्ली-सहारनपुर यमनोत्री हाईवे घोटाले की सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश भी कर चुकी है।