सीबीआइ जांच से बढ़ेंगी अतीक अहमद की मुश्किलें
सुप्रीम कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी से विधायक रहे राजू पाल हत्याकांड में सीबीआइ जांच का आदेश देकर समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद अतीक अहमद और उनके भाई पूर्व विधायक अशरफ की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
लखनऊ (आनन्द राय)। सुप्रीम कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी से विधायक रहे राजू पाल हत्याकांड में सीबीआइ जांच का आदेश देकर समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद अतीक अहमद और उनके भाई पूर्व विधायक अशरफ की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
हाल ही में इलाहाबाद के कचहरी शूट आउट कांड में सीबीआइ की विशेष अदालत से अतीक भले बरी हो गए, लेकिन इस मामले में उनकी घेराबंदी तेज होने का अंदेशा है। वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस मामले को सियासी मुद्दा बनाने की भी कोशिश हो सकती है।
इलाहाबाद में 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी। इस मामले में पूर्व सांसद अतीक अहमद और उनके भाई पूर्व विधायक अशरफ को आरोपी बनाया गया था। राजू पाल की विधायक पत्नी पूजा पाल ने समाजवादी पार्टी की सरकार और पुलिस को इस हत्याकांड में लीपापोती का जिम्मेदार ठहराते हुए कानूनी लड़ाई शुरू कर दी। 2007 के विधानसभा चुनाव में राजू पाल की हत्या एक बड़ा मुद्दा बन गई थी। पूजा ने पुलिस को आरोपित करते इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से सीबीआइ जांच की मांग की थी। पूजा का तर्क था कि आरोप पत्र दाखिल करते समय पुलिस ने तमाम साक्ष्य छिपा लिए। हाई कोर्ट ने मई 2014 में सीबीआइ जांच कराने की याचिका पर सीधे हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया था। इसके बाद पूजा पाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने पूजा पाल की याचिका पर अब सीबीआइ जांच के निर्देश दिए हैं और इतना ही नहीं छह माह में ही जांच पूरी करने को कहा है। अव्वल तो पूजा पाल जिन साक्ष्यों को कोर्ट में दाखिल न करने का आरोप लगा रही हैं, सीबीआइ जांच भी सर्वप्रथम उन पर ही केंद्रित होगी और छह माह की अवधि में अगर जांच पूरी हुई तो उस समय तक उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव की गतिविधि तेज हो जाएगी। अभियुक्तों से सीबीआइ की पूछताछ होनी तय है। ऐसे में राजू पाल हत्याकांड से जुड़े विवेचक, अफसरों और सियासी शख्सीयतों से भी पूछताछ संभव है। जाहिर है सीबीआइ की कार्रवाई का असर सियासी माहौल पर भी पड़ेगा।
अखिलेश ने रोकी थी अतीक की राह
राजू पाल हत्याकांड के बाद कई वर्षों तक अतीक फरार रहे और उन पर पुलिस ने बीस हजार रुपये का इनाम भी रखा था। वर्ष 2008 में दिल्ली से उनकी गिरफ्तारी हुई और लंबे समय तक जेल में रहे। 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले अतीक अहमद ने सपा में वापसी की कोशिश की, लेकिन तब प्रदेश में साइकिल यात्रा लेकर निकले सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनकी राह रोक दी। अखिलेश ने दो टूक कहा था कि अतीक जैसों के लिए सपा में जगह नहीं है। यह अलग बात है कि 2014 के लोकसभा चुनाव आने तक अतीक ने न केवल पार्टी में वापसी की बल्कि लोकसभा चुनाव में टिकट पाने में भी कामयाब हो गए।