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CBCID की जांच में खुला रायबरेली पुलिस का खेल, थानाध्यक्ष पर एफआइआर दर्ज करने के आदेश

आरोप था कि धर्मेंद्र ने किरायेदार जयकरन से अपना मकान बेचने का सौदा किया था और तीन लाख रुपये भी ले लिए। बाद में रजिस्ट्री करने से मुकर गए और विरोध पर मारपीट की। बाद में जयकरन सिंह की ओर से एक और मुकदमा दर्ज किया गया था।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 05:30 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 05:30 PM (IST)
CBCID की जांच में खुला रायबरेली पुलिस का खेल, थानाध्यक्ष पर एफआइआर दर्ज करने के आदेश
शासन ने दी एसओ व विवेचक पर एफआइआर की अनुमति। झूठा मुकदमा लिखे जाने का मामला।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सीबीसीआइडी की जांच में रायबरेली पुलिस का बड़ा खेल पकड़ा गया है। एक पक्ष की ओर से धोखाधड़ी का झूठा मुकदमा लिखकर दूसरे पक्ष को प्रताड़ित किए जाने के मामले में शासन ने विवेचक व थानाध्यक्ष के विरुद्ध एफआइआर दर्ज किए जाने की अनुमति दी है। यह मामला रायबरेली की शहर कोतवाली का है, जहां वर्ष 2019 में जयकरन सिंह की ओर से धर्मेंद्र कुमार, उनकी पत्नी बिंदु व अमरनाथ समेत अन्य के विरुद्ध धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई थी।

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आरोप था कि धर्मेंद्र ने किरायेदार जयकरन से अपना मकान बेचने का सौदा किया था और तीन लाख रुपये भी ले लिए। बाद में रजिस्ट्री करने से मुकर गए और विरोध पर मारपीट की। बाद में जयकरन सिंह की ओर से एक और मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में धर्मेंद्र पक्ष ने उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाए जाने की बात कहते हुए शासन स्तर पर निष्पक्ष जांच के लिए पैरवी की थी। शासन के निर्देश पर जून 2020 में सीबीसीआइडी ने इस मामले की जांच शुरू की थी। सीबीसीआइडी ने दोनों मुकदमों की विवेचना की, जिसमें सामने आया कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए धर्मेंद्र कुमार व अन्य के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई गई थी।

विवेचक अरुण कुमार अवस्थी की विवेचना दोषपूर्ण पाई गई व तत्कालीन शहर कोतवाली प्रभारी अतुल कुमार सिंह शिथिल पर्यवेक्षण के दोषी पाए गए। शासन ने दोषी पाए गए दोनों निरीक्षकों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करने की अनुमति प्रदान कर दी है। सीबीसीआइडी ने इसे लेकर एसपी रायबरेली को पत्र भी भेजा था, लेकिन अभी एफआइआर दर्ज नहीं हो सकी है। वहीं सीबीआइडी अपनी जांच पूरी करने के बाद दोनों मुकदमों में अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी है।  


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