UP Cabinet Decision: यूपी में करियर सेंटर दिलाएंगे निजी क्षेत्र में नौकरियां, प्रदेश में बनेंगे कर्मचारी बीमा न्यायालय
UP Cabinet Decision केंद्र सरकार की ओर से बनायी गई सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को प्रदेश में लागू करने के लिए बनायी गई उत्तर प्रदेश सामाजिक सुरक्षा संहिता नियमावली 2021 में यह प्राविधान किया गया है। इस नियमावली को बुधवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। राज्य सरकार की ओर से अधिसूचित किये जाने वाले करियर सेंटर बेरोजगारों और रोजगार पाने के इच्छुक लोगों को निजी क्षेत्र में रोजगार दिलाने का माध्यम बनेंगे। निजी क्षेत्र में जो रिक्तियां निकलेंगी, उन्हें इसकी सूचना अनिवार्य रूप से अधिसूचित करियर सेंटर्स को देनी होगी। करियर सेंटर के पास रोजगार प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों का डाटा होगा। वह ऐसे लोगों की काउंसिलिंग और उनका मार्गदर्शन कर उन्हें उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार रोजगार मेलों के जरिये उन्हें नौकरियां दिलाने का माध्यम बनेंगे।
केंद्र सरकार की ओर से बनायी गई सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 को प्रदेश में लागू करने के लिए बनायी गई उत्तर प्रदेश सामाजिक सुरक्षा संहिता नियमावली, 2021 में यह प्राविधान किया गया है। इस नियमावली को बुधवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई। इस नियमावली में संगठित के साथ ही असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा की छतरी मुहैया कराने के लिए कई महत्वपूर्ण प्राविधान किये गए हैं।
नियमावली के तहत पहली बार प्रदेश में कर्मचारी बीमा न्यायालय बनाए जाएंगे। इन न्यायालयों में कर्मचारी राज्य बीमा से संबंधित विवादों का समाधान किया जाएगा। इन न्यायालयों में पीठासीन अधिकारी के तौर पर न्यायपालिका के जज नियुक्त किए जाएंगे। यह न्यायालय हाईकोर्ट के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करेंगे।
दुर्घटना होने पर मुआवजे से संबंधित मुकदमों के निपटारे के लिए नई नियमावली में अधिकतम छह महीने की समयसीमा तय की गई है। अभी तक इसके लिए कोई समयसीमा तय नहीं थी। यदि छह माह में मुकदमे का निस्तारण नहीं होता है तो नित्य प्रतिदिन सुनवाई कर उसका निस्तारण किया जाएगा।
गर्भवती कामगार महिलाओं को प्रसूति संबंधी सभी मौजूदा लाभ नई नियमावली में बरकरार रखे गए हैं। इसके अलावा नियमावली में प्रसूति संबंधी किसी भी प्रकार के विवाद होने पर उसके निस्तारण की व्यवस्था की गई है। ऐसे विवादों की सुनवाई संबंधित श्रम प्रवर्तन अधिकारी करेंगे। यदि कोई व्यक्ति श्रम प्रवर्तन अधिकारी के फैसले से असंतुष्ट है तो वह क्षेत्रीय श्रम आयुक्त के सामने अपील कर सकेगा।
नई नियमावली के तहत असंगठित क्षेत्र के मजदूरों और भवन निर्माण श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए कल्याण बोर्ड बनाए जाएंगे। मौजूदा कानून के तहत भी प्रदेश में यह बोर्ड बने हुए हैं लेकिन नई नियमावली के प्रभावी होने के बाद इनका पुनर्गठन किया जाएगा। पांच साल की नौकरी पूरी करने पर कामगार ग्रेच्युटी के भुगतान का हकदार हो जाता है। नई नियमावली में पत्रकारों के लिए ग्रेच्युटी भुगतान के लिए आवश्यक समयावधि को घटाकर तीन वर्ष कर दिया गया है।