अब जेनेटिक रिसर्च से आसान होगा कैंसर का इलाज
केजीएमयू की ओर से करंट ट्रेंड्स ऑफ जीनोमिक एंड मॉलीक्यूलर मेडिसिन पर कांफ्रेंस का आयोजन। एडवांस रिसर्च सेल में ओरल कैंसर के लिए बनाया गया बायोमार्कर।
लखनऊ, जेएनएन। जेनेटिक शोध से ओरल कैंसर के मरीजों के लिए बायो मार्कर तैयार किये जा रहे हैं। केजीएमयू के एडवांस रिसर्च सेल में ओरल कैंसर के जीन पर शोध किया गया है। इससे मरीजों को जेनेटिक म्यूटेशन के हिसाब से दवा दी जा रही है। माल टॉफ सीक्वेंस मशीन की सहायता से एक साथ छह जीन के 50 मॉलीक्यूल को देखा जा सकता है। यह जानकारी रिसर्च सेल की डॉ.नीतू सिंह ने एक निजी होटल में करंट ट्रेंड्स ऑफ जीनोमिक एंड मॉलीक्यूलर मेडिसिन पर आयोजित तीन दिवसीय कांफ्रेंस में दी।
डॉ.नीतू सिंह ने बताया कि ओरल कैंसर जीनोम की रिसर्च में पता चला कि यह जीन 'ईजीएफआर' लंग कैंसर में भी पाया जाता है। इससे बायोमार्कर बनाया गया है जिससे ओरल कैंसर के प्राइमरी और मिडिल स्टेज के मरीजों का इलाज किया जाएगा। कैंसर के टिश्यू में मॉलीक्यूल किस ग्रुप का है इसका क्लीनिकल ट्रॉयल चल रहा है।
मिर्गी का दौरा भी है अनुवांशिक
न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो.राजेश वर्मा ने बताया कि मिर्गी के कई दौरे भी अनुवांशिक होते हैं। छह माह से पांच साल तक के बच्चों में बुखार जनित दौरे, पांच से 12 वर्ष के बच्चों में रात के समय पडऩे वाले दौरे जिन्हें बिनाइन रोलेंडिक एपिलेप्सी कहते हैं। इसके अलावा जुवेनाइल मक्लेनिक एपिलेस्पी जो कि 14 से 21 वर्ष की महिलाओं में होती है। इन सभी मिर्गी के दौरों का संबंध जीन से होता है। हालांकि अभी इन बीमारियों में जीन डिस्आर्डर पर शोध नहीं हुआ है। कार्यक्रम का उद्घाटन कॉर्डिफ विश्वविद्यालय यूके के प्रो.धावेंद्र कुमार, आइआइटीआर के निदेशक प्रो.आलोक धावन, प्रो.राजा राय, पूर्व कुलपति प्रो.डीके सिंह और केजीएमयू के कुलपति प्रो.एमएलबी भट्ट ने किया।