कैबिनेट की मंजूरीः एक से दूसरे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में हो सकेंगे तबादले
विकास प्राधिकरणों की तर्ज पर अब प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में तैनात कर्मचारियों का एक से दूसरे प्राधिकरण में तबादला किया जा सकेगा।
लखनऊ (जेएनएन)। विकास प्राधिकरणों की तर्ज पर अब प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों का एक से दूसरे प्राधिकरण में तबादला किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस मकसद से उप्र औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 के तहत उप्र औद्योगिक विकास प्राधिकरण केंद्रीयत सेवा नियमावली, 2018 को मंजूरी दे दी गई है। इसके मुताबिक तबादले की स्थिति में कर्मचारी द्वारा स्वीकृति नहीं देने पर तीन माह का वेतन देकर सेवा समाप्त कर दी जाएगी।
प्राधिकरण में तबादला करना जरूरी
वर्तमान में उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआइडीसी), नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा), सतरहिया औद्योगिक विकास क्षेत्र (सीडा), लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (लीडा), यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण, उप्र एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) और उप्र स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी (यूपीसीडा) में तैनात अधिकारी और कर्मचारी कई वर्षों तक एक ही स्थान पर तैनात रहते हैं। उनकी सेवाएं संबंधित प्राधिकरण तक ही सीमित रहती हैं। इससे उनकी कार्यकुशलता के साथ औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की पारदर्शिता भी प्रभावित होती है। वर्षों से एक ही स्थान पर जमे अधिकारियों व कर्मचारियों के गठजोड़ से भ्रष्टाचार भी पनपता है। इसलिए सरकार चाहती है कि उनका एक से दूसरे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में तबादला करना जरूरी है।
नई नियमावली पर सरकार की मुहर
औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बताया कि इसके लिए योगी सरकार ने पिछले साल उप्र औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 में संशोधन कर उप्र औद्योगिक विकास प्राधिकरण केंद्रीयत सेवा का गठन करने का फैसला किया था और इस मकसद से उप्र औद्योगिक क्षेत्र विकास (संशोधन) विधेयक, 2017 के प्रारूप को मंजूरी दी थी। उप्र औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम के संशोधित स्वरूप को अमली जामा पहनाने के लिए सरकार ने अब नियमावली पर मुहर लगा दी है। इस नियमावली के दायरे में आने वाले कार्मिकों के वेतन आदि पर आने वाला व्ययभार संबंधित प्राधिकरण द्वारा वहन किया जाएगा।
सहमति न दी तो तीन महीने का वेतन देकर छुट्टी
औद्योगिक विकास प्राधिकरण केंद्रीयत सेवा के तहत अपनी सेवाएं देने के लिए विभिन्न औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में तैनात अधिकारियों-कर्मचारियों से उनकी सहमति मांगी जाएगी। यदि अधिकारी-कर्मचारी सहमति नहीं देते हैं तो उन्हें तीन महीने की तनख्वाह देकर उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी।
यूपीएसआइडीसी के यूपीसीडा में विलय पर मुहर
कंपनी एक्ट के तहत गठित उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (यूपीएसआइडीसी) का योगी सरकार ने उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) में विलय करने का फैसला किया है। कैबिनेट बैठक में यूपीएसआइडीसी की परिसंपत्तियों, दायित्वों, शक्तियों, क्रियाकलापों और कर्मचारियों को यूपीसीडा में हस्तांतरित करने केप्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है। यूपीएसआइडीसी (निगम) का गठन 1961 में राज्य सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में हुआ था। गठन से लेकर अब तक उसने प्रदेश में सवा सौ से ज्यादा औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये हैं। हालांकि उसे इन औद्योगिक क्षेत्रों का मास्टर प्लान व लेआउट अनुमोदित करने, उनमें मानचित्रों को मंजूरी देने और अधिसूचित क्षेत्र को विनियमित करने का अधिकार नहीं था। यूपीसीडा में निगम का विलय होने पर काम का दोहराव रुकेगा।