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कैबिनेट फैसला : फिर शुरू होंगी तीन आसवनी इकाइयां, शीरा भंडारण सीमा बढ़ी

सहकारी चीनी मिल्स संघ की अनूपशहर (बुलंदशहर) तथा सहकारी चीनी मिल कायमगंज (फर्रुखाबाद)और घोसी (मऊ) की आसवनी इकाइयां फिर से शुरू होंगी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 05 Jun 2018 10:28 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jun 2018 10:28 AM (IST)
कैबिनेट फैसला : फिर शुरू होंगी तीन आसवनी इकाइयां, शीरा भंडारण सीमा बढ़ी
कैबिनेट फैसला : फिर शुरू होंगी तीन आसवनी इकाइयां, शीरा भंडारण सीमा बढ़ी

लखनऊ (जेएनएन)। सहकारी चीनी मिल्स संघ की अनूपशहर (बुलंदशहर) तथा सहकारी चीनी मिल कायमगंज (फर्रुखाबाद)और घोसी (मऊ) की आसवनी इकाइयां फिर से शुरू होंगी। इन इकाइयों में बायोकम्पोस्ट आधारित जीरो लिक्विड डिस्चार्ज संयंत्र की स्थापना होगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों के अनुरूप यह कार्य होगा। इन तीनों इकाइयों में डिस्चार्ज संयंत्र न होने से वर्ष 2017 से ही उत्पादन कार्य ठप हो गया है। गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने बताया कि कैबिनेट ने इन तीनों इकाइयों को फिर से शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। तीनों इकाइयों में यह संयंत्र स्थापित करने में 79 करोड़ 29 लाख 52 हजार रुपये की लागत आएगी। यह अपने स्रोत या कर्ज लेकर स्थापित होगी। इसमें राज्य सरकार पर कोई व्यय भार नहीं आएगा।

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पिछली सरकार की गलत नीति

एडवांस प्रोसेस टेक्नालाजी का उपयोग करके स्पेंटवाश की मात्रा 12 से 15 किलोलीटर प्रति आरएस से घटाकर नौ किलोलीटर किया जाएगा। इससे कच्चे स्पेंटवाश की मात्रा कम हो जाएगी जिसे प्रेसमड में मिश्रित कर बायोकम्पोस्ट बनाया जाएगा। यह किसानों की खेती के लिए हितकारी होगा। इस परियोजना की स्थापना से जल के दोहन में कमी आएगी। इससे तीनों आसवनी इकाइयों में प्रदूषण नियंत्रण होगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने पहले ही ननौता, नानपाारा और संपूर्णानगर आसवनी को चलाने का फैसला कर लिया है। एनजीटी के निर्देशों के क्रम में इन्हें बंद करना पड़ा था। राणा ने बताया कि पिछली सरकार की गलत नीति के चलते यह इकाइयां ठप हो गई थीं। उन्होंने बताया कि आसवनी इकाइयों में संयत्र स्थापित करने के लिए जल्द ही टेंडर की प्रक्रिया शुरू होगी।

शीरे की भंडारण सीमा दस फीसद बढ़ी

 कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश शीरा नियंत्रण नियमावली, 1974 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। शीरे के भंडारण एवं बिक्री में पारदर्शिता लाने के लिए आधुनिक तकनीक का समावेश करते हुए इस नियमावली में संशोधन किया गया है। इस संशोधन के जरिये शीरे की भंडारण सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत किया गया है। शीरा निधि का उपयोग कर संग्रहण क्षमता में वृद्धि किये जाने तथा केवल आपात स्थित में आयताकार आच्छादित पिट की अनुमति प्रदान किये जाने का प्रावधान किया गया है। चीनी कारखानों में उत्पादित शीरे के सभी विवरण वितरण, प्राप्ति, उपभोग और बचे शीरे की मात्रा समेत उत्पादित शीरे के परीक्षण परिणाम तथा किसी शिकायत सूचना आबकारी विभाग के पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इसके अलावा शीरे की लोडिंग पर निगरानी रखने के लिए चीनी मिलों में सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था एवं डिजिटल रिकार्ड को भी आबकारी विभाग के पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।

जीपीएस युक्त लॉरियां अनिवार्य

शीरे के परिवहन के लिए जीपीएस युक्त लॉरियों को अनिवार्य किया गया है। 45 दिन में तय सीमा के अंतर्गत आवंटित शीरे का उठान न किये जाने पर प्रतिदिन पांच हजार रुपये जुर्माना देना होगा। ई-ट्रांजिट परमिट के धोखाधड़ीपूर्ण एवं कपटपूर्ण प्रयोग किये जाने पर दंड का प्रावधान है। शीरे की बिक्री केवल वास्तविक क्रेता को किये जाने तथा इकाई की जीएसटी संख्या सहित प्रयोजन को स्पष्ट करते हुए आबकारी विभाग के पोर्टल के जरिये ऑनलाइन आवेदन का भी प्रावधान किया गया है। शीरे के मूल्य का भुगतान ई-पेमेंट तथा प्रशासनिक शुल्क ई-चालान के माध्यम से किया जा सकेगा। 

मदिरा बोतलों के लेबलों की संख्या सीमित

कैबिनेट ने देश के अंदर तथा अन्य राज्यों तथा देश के बाहर निर्यात किये जाने के लिए मदिरा की बोतलों के लेबलों की संख्या सीमित किये जाने का फैसला किया है। लेबल की संख्या कम करने से होने वाली क्षति को न्यून करने के दृष्टिगत आबकारी आयुक्त ने प्रस्ताव दिया जिस पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी। इसके अनुसार देश और प्रदेश से बाहर भेजी जाने वाली भारत निर्मित विदेशी मदिरा के लेबल की मौजूदा फीस 60 हजार को चार गुना करते हुए ढाई लाख, बीयर की फीस 35 हजार से बढ़ाकर डेढ़ लाख और एलएबी लेबल की फीस पांच हजार से बढ़ाकर बीस हजार कर दी गई है। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मौजूदा समय में प्रदेश में बिक्री की जाने वाली विदेशी मदिरा की बोतलों पर चिपकाये जाने वाले लेबलों पर केवल राज्य, संघ राज्य क्षेत्र या देश का नाम बिक्री के लिए मुद्रित किये जाने की व्यवस्था है। उद्योग को बढ़ावा देने की गरज से सरकार ने लेबल पर देश या प्रदेश का नाम न लिखकर मात्र ओवरसीज अथवा अंतरप्रांतीय एक्सपोर्ट का अंकन किया जाएगा। कैबिनेट ने तय किया कि किसी आसवनी द्वारा अपनी कितनी ब्रांडों को किन देशों या प्रदेशों को निर्यात किया जाए यह वर्ष की शुरुआत में तय किया जाना संभव नहीं है। राजस्व में कितनी कमी होगी, इसका भी स्पष्ट आकलन संभव नहीं है। परंतु लेबल अनुमोदन फीस में वृद्धि करके राजस्व में होने वाली कमी को कम किया जा सकता है। वर्ष 2017-18 में देश और प्रदेश से बाहर निर्यात की गई विदेशी मदिरा के 318 ब्रांडों के सापेक्ष 1218 अनुमोदित लेबल को देखते हुए लगभग चार लेबल प्रति ब्रांड की संख्या होती है।

देशी गोवंश का बढ़ावा

कैबिनेट की बैठक में उप्र पशुधन प्रजनन नीति-2018 को भी स्वीकृति दी गई। इससे विदेशी प्रजाति के जर्सी व जर्सी क्रास गोवंश तथा प्रदेश के लिए चिह्नित स्वदेशी गोवंश प्रजातियां जैसे साहीवाल हरियाणा, गंगातीरी, थारपारकर के साथ गिर प्रजाति के संरक्षण और संवर्धन के लिए अतिहिमीकृत वीर्य की उपलब्धता के लिए नई प्रजनन नीति प्रस्तावित की गई है। नई नीति में पशु प्रजनन नीति 2002 में प्रचलित विभिन्न योजनाओं को लागू किया जाएगा। नई व्यवस्था में राजकोष पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं हो सकेगा। संशोधित पशु प्रजनन नीति 2018 को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्णय भी लिया गया। उल्लेखनीय है कि भाजपा के लोक कल्याण पत्र में स्वदेशी गोवंश के संवर्धन को प्रोत्साहन देने का वादा किया गया था। गत वर्ष 2002 में पशु प्रजनन नीति लागू करने के बाद से एचएफ संकर प्रजाति के गोवंश से दुग्ध उत्पादन अधिक हो गया था लेकिन, दूध में कम वसा होने के कारण डेरी संचालकों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। इसके अलावा विदेशी प्रजाति के गोवंश में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण पशुओं के रखरखाव पर अधिक व्यय हो रहा था। पशु पालकों को यथोचित लाभ दिलाने में प्रस्तावित पशु प्रजनन नीति निर्णायक सिद्ध होगी। नई नीति का ठीक से अनुपालन कराने से पशुधन में पीढ़ी दर पीढ़ी सुधार होगा और किसानों की आय को दोगुना करने की राह आसान होगी।


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