Move to Jagran APP

योगी सरकार का अहम कैबिनेट फैसलाः निजी स्कूलों ने मनमानी फीस वसूली तो जायेगी मान्यता

निजी स्कूल मनमानी फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। सरकार ने सालाना फीस वृद्धि का फॉर्मूला तय कर दिया है। अंकुश लगाने के लिए सरकार अध्यादेश लाने जा रही हैै।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 03 Apr 2018 09:26 PM (IST)Updated: Wed, 04 Apr 2018 04:37 PM (IST)
योगी सरकार का अहम कैबिनेट फैसलाः निजी स्कूलों ने मनमानी फीस वसूली तो जायेगी मान्यता
योगी सरकार का अहम कैबिनेट फैसलाः निजी स्कूलों ने मनमानी फीस वसूली तो जायेगी मान्यता
लखनऊ (जेएनएन)। प्रदेश में निजी स्कूल अब मनमाने तरीके से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। सरकार ने निजी स्कूलों की सालाना फीस वृद्धि का फॉर्मूला तय कर दिया है। इस फॉर्मूले के तहत निजी स्कूल नवीनतम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में पिछले सत्र के शुल्क का पांच प्रतिशत जोड़ते हुए हर साल इतनी ही फीस बढ़ा सकेंगे। शर्त यह होगी कि इस तरह से निर्धारित किया गया शुल्क स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों की मासिक प्रति व्यक्ति आय में हुई वृद्धि के औसत से अधिक नहीं होगा। तय से अधिक फीस वसूलने पर स्कूल प्रबंधन पर पहली बार एक लाख रुपये और दूसरी मर्तबा पांच लाख रुपये आर्थिक दंड लगाया जाएगा। तीसरी बार ऐसा करने पर उनकी मान्यता रद कर दी जाएगी।
निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर अंकुश लगाने के लिए सरकार अध्यादेश लाने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में उप्र स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का निर्धारण) अध्यादेश, 2018 के प्रारूप को मंजूरी दे दी गई है। कैबिनेट बैठक के बाद इस फैसले की जानकारी उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा ने दी और कहा कि प्रस्तावित व्यवस्था के तहत निजी स्कूलों की फीस में सालाना सात से आठ प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि नहीं होगी। उन्होंने बताया कि सरकार जल्द ही यह अध्यादेश लाएगी। प्रस्तावित अध्यादेश उन सभी निजी स्कूलों पर लागू होगा जिनका वार्षिक शुल्क 20 हजार रुपये से अधिक है। इसके दायरे में यूपी बोर्ड, सीबीएसई, आइसीएसई व अन्य बोर्ड से मान्यताप्राप्त/संबद्ध स्कूल सहित वे विद्यालय भी आएंगे जिन्हें 'अल्पसंख्यक दर्जा हासिल है। यह व्यवस्था प्री-प्राइमरी स्कूलों पर लागू नहीं होगी।

किताबें, जूते-मोजे खरीदने के लिए बाध्य नहीं अभिभावक : डॉ.दिनेश शर्मा ने बताया कि प्रस्तावित अध्यादेश में प्रावधान है कि निजी स्कूल अभिभावकों को किसी दुकान विशेष से किताब-कापियां, यूनीफॉर्म, जूते-मोजे व स्टेशनरी खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे।

पांच साल से पहले नहीं बदलेगी यूनीफॉर्म : अभिभावकों को शोषण से बचाने के लिए अध्यादेश के ड्राफ्ट में यह भी व्यवस्था की गई है कि निजी स्कूल पांच साल से पहले विद्यार्थियों की यूनीफॉर्म नहीं बदल सकेंगे। यदि निजी स्कूल पांच साल से पहले ऐसा करते हैं तो उन्हें मंडलायुक्त की अध्यक्षता में गठित मंडलीय शुल्क नियामक समिति से मंजूरी लेनी होगी। इसके लिए अभिभावक संघ की सहमति भी जरूरी होगी।

इसी सत्र से लागू होगी व्यवस्था : उप मुख्यमंत्री के साथ मौजूद अपर मुख्य सचिव माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा संजय अग्रवाल ने बताया कि फीस वृद्धि का यह फॉर्मूला शैक्षिक सत्र 2018-19 से लागू होगा। इसके लिए सत्र 2015-16 को आधार वर्ष माना गया है। प्रस्तावित अध्यादेश में यह व्यवस्था है कि स्कूल को अगले शैक्षिक सत्र की शुरुआत से 60 दिन पहले आगामी सत्र में प्रस्तावित फीस को अपनी वेबसाइट या नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित कर उसे सार्वजनिक करना होगा। उसे प्रवेश फार्म में कक्षा एक से 12 तक के फीस ढांचे का विवरण भी देना होगा।

अतिरिक्त फीस वापस करने का प्रावधान : अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा से पूछा गया कि शैक्षिक सत्र 2018-19 तो चालू हो गया है और अभिभावक बच्चों की फीस भी जमा कर चुके हैं या कर रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों से नये सत्र के लिए वसूली गई फीस यदि तय फार्मूले के तहत वर्ष 2018-19 के लिए निर्धारित फीस से अधिक होती है, तो क्या उसे वापस किया जाएगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश में वसूली गई अतिरिक्त फीस वापस करने का प्रावधान है।

प्रवेश शुल्क स्कूल में दाखिले के समय : छात्रों से वसूली जाने वाली फीस को दो वर्गों में बांटा गया है-संभावित और वैकल्पिक शुल्क संघटक। संभावित शुल्क संघटक के तहत विवरण पुस्तिका व पंजीकरण शुल्क, प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क और संयुक्त वार्षिक शुल्क शामिल होगा। स्कूल छात्रों से विवरण पुस्तिका और पंजीकरण शुल्क सिर्फ प्रवेश के समय ले सकेंगे। प्रवेश शुल्क स्कूल में दाखिले के समय सिर्फ एक बार लिया जाएगा। छात्रों से कोई कैपिटेशन शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसी प्रकार छात्रों से लिया गया प्रतिभूति शुल्क उनके स्कूल छोडऩे पर सभी देयों को समायोजित करते हुए उन्हें वापस कर दिया जाएगा। यह शुल्क विद्यालय में नए प्रवेश के समय ही लिया जाएगा और यह संयुक्त वार्षिक शुल्क के पचास प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगा।

वैकल्पिक शुल्क बाध्यकारी नहीं : वैकल्पिक शुल्क संघटक के तहत विभिन्न क्रियाकलापों और स्कूल की ओर से दी गईं सुविधाओं के लिए देय शुल्क शामिल होगा जिसे जमा करना बाध्यकारी नहीं होगा। इसमें आवागमन, बोर्डिंग व भोजन की सुविधाओं, शैक्षिक भ्रमण, स्थानीय दौरा तथा अन्य क्रियाकलापों के लिए निर्धारित शुल्क शामिल होगा। जो छात्र यह सुविधा लेना चाहेंगे, उनके अभिभावकों को उसके लिए तय फीस देनी होगी। प्रत्येक फीस के लिए छात्रों को रसीद दी जाएगी।

साल भर की फीस नहीं ले सकेंगे : नई व्यवस्था के तहत निजी स्कूल साल भर की फीस एक साथ नहीं ले सकेंगे। वे मासिक, त्रैमासिक या अर्धवार्षिक आधार पर फीस ले सकेंगे।

व्यावसायिक गतिविधियों से होने वाली आय स्कूल खाते में : प्रत्येक विद्यालय का एक कोष होगा जिसमें छात्रों को दी गईं सुविधाओं के लिए उनसे प्राप्त धनराशि और स्कूल परिसर में आयोजित व्यावसायिक गतिविधियों से होने वाली आय शामिल होगी। व्यावसायिक गतिविधियों से प्राप्त होने वाली आय स्कूल के खाते में जमा की जाएगी, प्रबंध समिति/ट्रस्ट के खाते में नहीं।

फीस वापसी के साथ आर्थिक दंड दे सकेगी मंडलीय शुल्क विनियामक समिति : फीस को लेकर स्कूल के छात्रों व उनके अभिभावकों तथा अभिभावक संघ की शिकायतों के निस्तारण के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में मंडलीय शुल्क विनियामक समिति गठित की जाएगी जिसे सिविल व अपीलीय अदालत की शक्तियां प्राप्त होंगी। अधिसूचित फीस से अधिक लिये गए शुल्क को छात्र को वापस करने के निर्देश के साथ समिति को स्कूल प्रबंधन को पहली और दूसरी बार आर्थिक दंड देने का अधिकार होगा। वहीं तीसरी बार स्कूल की मान्यता रद कर दी जाएगी। समिति के फैसले से असंतुष्ट स्कूल प्रबंध समिति निर्णय प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर राज्य स्ववित्तपोषित विद्यालय प्राधिकरण को अपील कर सकते हैं। जब तक यह प्राधिकरण गठित नहीं होता है, तब तक यह अपील उप्र निजी व्यावसायिक शैक्षिक संस्था (प्रवेश का विनियमन और फीस का नियतन) अधिनियम, 2006 के अधीन गठित अपीलीय प्राधिकरण में की जा सकेगी।
 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.