Move to Jagran APP

यूपी में फिर से गर्माया निषादों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का मुद्दा

दूसरी तरफ निषादों के एक संगठन ने प्रदर्शन करते हुए अपने अधिकारों की आवाज बुलंद की। इससे निषादों को अनुसूचित जाति (एससी) में शामिल किए जाने का मुद्दा गरमा गया है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 11:36 AM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 12:11 PM (IST)
यूपी में फिर से गर्माया निषादों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का मुद्दा
यूपी में फिर से गर्माया निषादों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का मुद्दा

लखनऊ (जेएनएन)। एससी-एसटी एक्ट की चुनौतियों से जूझ रही भाजपा सरकार ने पिछड़ों को एकजुट करने का उपक्रम शुरू किया है। शुक्रवार को पीडब्लूडी के विश्वेश्वरैया सभागार में भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के तत्वावधान में आयोजित सम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य निषाद और केवट समाज को साधने में जुटे थे जबकि दूसरी तरफ निषादों के एक संगठन ने प्रदर्शन करते हुए अपने अधिकारों की आवाज बुलंद की। इससे निषादों को अनुसूचित जाति (एससी) में शामिल किए जाने का मुद्दा गरमा गया है।

loksabha election banner

शुक्रवार को राजधानी में राष्ट्रीय निषाद संघ ने अनुसूचित जाति में शामिल मझवार व गोड़ जाति का प्रमाण पत्र जारी करने समेत कई मांगों को लेकर दारुलशफा से जीपीओ पार्क तक प्रदर्शन किया। इसमें राष्ट्रीय सचिव लोटन राम निषाद, प्रदेश सचिव राम सुंदर निषाद, रमेश चंद्र, धर्मेंद्र कश्यप समेत कई नेता शामिल हुए।

आंदोलनकारियों का कहना था कि मल्लाह, केवट, मांझी, राजगौड़ आदि अनुसूचित जाति में शामिल मझवार की पर्यायवाची जातियां है। उच्चतम न्यायालय ने गोडिय़ा, धुरिया, धीमर, राजी, जानसारी आदि कहार की उपजातियों को गोड़ के नाम से प्रमाण-पत्र जारी करने का आदेश दिया है। फिर भी इन जातियों को जाति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया जा रहा है।

हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा के पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में इस मांग को जायज ठहराते हुए कोर्ट में इसके लंबित होने का ठीकरा सपा पर फोड़ा। देखा जाए तो भाजपा सरकार बनने के बाद पहली चुनौती निषादों की ओर से ही मिली। गोरखपुर और फूलपुर में हुए उपचुनाव में निषाद पार्टी ने सपा से गठबंधन कर भाजपा को पटखनी दी थी।

गोरखपुर में निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद को सपा ने टिकट देकर चुनाव जीत लिया और तबसे भाजपा को लगातार अपना समीकरण ठीक करने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। उल्लेखनीय है कि सपा सरकार में निषादों समेत 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने और उन्हें एससी के समान सुविधा देने का शासनादेश तक जारी हो चुका है। हालांकि अदालती दांव-पेंच में यह मसला फंसा हुआ है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.