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उत्तर प्रदेश में एक बार फिर दबाव की राजनीति के प्रयास में बुखारी

दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम भी चुनावी वर्ष को देखते हुए उत्तर प्रदेश में दबाव की राजनीति के प्रयास में हैं। आज उन्होंने समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के अलावा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी मुलाकात की।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 19 May 2016 04:27 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2016 05:04 PM (IST)
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर दबाव की राजनीति के प्रयास में बुखारी

लखनऊ। दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम भी चुनावी वर्ष को देखते हुए उत्तर प्रदेश में दबाव की राजनीति के प्रयास में हैं। आज उन्होंने समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के अलावा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी मुलाकात की। उधर वह समाजवादी पार्टी की सरकार की नीतियों के खिलाफ उलमा सम्मेलन की धमकी भी दे रहे हैं।

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दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी ने तीन माह में दूसरी बार समाजवादी पार्टी सरकार की नीतियों के खिलाफ 24 मई को लखनऊ में उलमा सम्मेलन की धमकी दी है। उससे पहले ही आज लखनऊ में वह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से मिलने उनके घर पहुंच गये। आज की उनकी इस मुलाकात को परिवार के सदस्यों को सत्ता में भागीदारी के लिये दवाब की राजनीति के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि अगर मौलाना बुखारी का सौदा नहीं पटा तो भी कौम का नारा बुलंद करेंगे। आज उनकी मुलायम सिंह यादव के आवास पर बैठक में भी मुख्यमंत्री पहुंचे थे। माना जा रहा है कि मौलाना बुखारी कौम के नाम पर राज्यसभा में जाना चाहते हैं। बीते दो दिन से उन्होंने सपा के मुखिया पर दबाव बना रखा था। आज परिवार के साथ मुलायम सिंह मिलने ही पहुंचे गये।

24 मई को मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ लखनऊ में करेंगे बैठक

चुनावी वर्ष में प्रदेश मुसलमानों को गोलबंद करने के सियासी प्रयासों के बीच 'धर्मगुरु" भी मैदान में उतरना शुरू हो गए हैं। 24 मई को जामा मस्जिद दिल्ली के इमाम मौलाना अहमद बुखारी लखनऊ में उलमा और मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ राज्य की समाजवादी सरकार की वादाखिलाफी पर चर्चा करेंगे। तीन माह में दूसरा मौका है जब बुखारी लखनऊ में मुस्लिम मुद्दों पर बैठक करेंगे। समाजवादी सरकार के घोषणा पत्र में मुस्लिमों के वादे पूरे नहीं किये जाने के इल्जाम के साथ मौलाना बुखारी ने 20 फरवरी को लखनऊ में विचार गोष्ठी की थी और 21 को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें अल्पसंख्यकों को नौकरियों में आरक्षण, अदालतों से निर्दोष साबित हुए मुस्लिम युवकों के पुनर्वास, कब्रिस्तानों की बाउंड्री, दंगों के लिए दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने उन्हें अल्पसंख्यकों के हित में चल रही योजनाओं की जानकारी दी थी और उनके मांगों पर विचार का आश्वासन दिया था। मौलाना बुखारी ने बीते सोमवार को दिल्ली से फोन कर बताया कि मुख्यमंत्री ने तीन माह पहले जो आश्वासन दिया था, उस पर कोई अमल नहीं किया गया। अल्पसंख्यक खासकर मुसलमान उपेक्षित महसूस कर रहा है। प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतें बार-बार फसाद करा रही हैं, मगर कार्रवाई नहीं हो रही है। इन सब मुद्दों को लेकर वह 24 मई को लखनऊ में विचार गोष्ठी करेंगे जिसमें उलमा के साथ मुस्लिम बुद्धिजीवी हिस्सा लेंगे। आपकी सक्रियता को चुनावी मंशा से जोड़ा जाता है, क्या कहेंगे? जवाब में मौलाना ने कहा कि वह सिर्फ मुसलमानों को उनका हक दिलाने की बात कर रहे हैं, इसमें कोई सियासी मंशा नहीं है।


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