Union Budget 2019 :अखिलेश यादव बजट पर तंज करते हुए बोले- इसमें सच छोड़कर सबकुछ
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कसा तंज- तो क्या करोगे लाकर बजट...। जब हर क्षेत्र में देश गया घट, तो क्या करोगे ला कर बजट।
लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार के अंतरिम बजट पर तंज कसा है। अखिलेश यादव ने बजट को लेकर ट्वीट किया है।
उन्होंने कहा कि अंतरिम बजट झूठ का बड़ा पुलिंदा है। जिसमें सच को छोड़कर सब कुछ है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कसा तंज- तो क्या करोगे लाकर बजट...। जब हर क्षेत्र में देश गया घट, तो क्या करोगे ला कर बजट।
एक साल के बजट में दस साल आगे की झूठी बात है. बहुसंख्यक भूमिहीन किसानों व श्रमिकों के लिए इसमें कुछ भी राहत नहीं है.
पाँच सालों की प्रताड़ना और पीड़ा के बाद देश के किसान, व्यापारी-कारोबारी, बेरोज़गार युवा अब भाजपा से मुक्ति चाहते हैं, दिखावटी ऐलान नहीं.— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 1, 2019
उन्होंने कहा कि तैयार हो जाइए आनेवाला है झूठ का पुलिंदा जिसमें 'सच' को छोड़कर सब कुछ होगा। अखिलेश यादव ने कहा कि बीते साढ़े चार वर्ष में बेरोजगारी पिछले 45 वर्ष से ज्यादा बढ़ी है।
जब हर क्षेत्र में देश गया घट
तो क्या करोगे ला कर बजट
तैयार हो जाइए आनेवाला है झूठ का पुलिंदा जिसमें ‘सच’ को छोड़कर सब कुछ होगा...— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 1, 2019
दस करोड़ नौकरियों का झूठा ख्वाब दिखाने वालों से 2019 में दस करोड़ नए मतदाता नौकरी ना मिलने का बदला लेंगे। वही युवा जो विकास का सपना देख कर गांव छोड़ते हैं अब उनकी सत्ता छीनेंगे जिन्होंने उनके सपने छीने थे।
4.5 साल में बेरोज़गारी पिछले 45 साल से ज़्यादा बढ़ी है। 10 करोड़ नौकरियों का झूठा ख़्वाब दिखाने वालों से ‘19 में 10 करोड़ नए मतदाता एक एक नौकरी ना मिलने का बदला लेंगे
वही युवा जो विकास का सपना देख कर गाँव छोड़ते हैं अब उनकी सत्ता छीनेंगे जिन्होंने उनके सपने छीने थे#HowstheJobs — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 31, 2019
देश को रोजगार के झूठे आंकड़े देने वाली भाजपा सरकार की सच्चाई आज खुल गयी है जबकि पता चला है कि पिछले 45 वर्ष में सबसे अधिक बेरोजगारी 2017-18 में रही है। अब यह सब बेरोजगार युवा ही भाजपा को अगले चुनाव में बेरोजगार करेंगे।
वित्त मंत्री पियूष गोयल आज इस सरकार का आखिरी अंतरिम बजट पेश करेंगे। वैसे तो यह अंतरिम बजट है जिसमें सरकार नीतिगत फैसले नहीं ले सकती, लेकिन चुनावी वर्ष होने के नाते उम्मीद की जा रही है कि यह एक लोकलुभावन बजट हो सकता है। गोयल के पिटारे से मिडिल क्लास, किसान और व्यापारियों के लिए कई तोहफे निकल सकते हैं।