36 घंटे बाद बीटीसी और बीएड के अभ्यर्थियों का धरना समाप्त, 19 सितंबर को होगी सुनवाई Lucknow News
69 हजार शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई पर सरकारी अधिवक्ता के नहीं पहुंचने से आक्रोशित अभ्यर्थी बेसिक शिक्षा निदेशालय पर दे रहे थे धरना।
By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 06:37 PM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 06:37 PM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई में विलंब होने से नाराज अभ्यर्थियों का धरना समाप्त हो गया है। उच्च न्यायलय से मामले की सुनवाई के लिए 19 सितंबर की तिथि मिली। जिसके बाद लौटे अभ्यर्थियों ने निदेशालय में हंगामा शुरू किया, लेकिन पुलिस ने दलबल से धरना समाप्त करा दिया। केस की पेशी में लगातार छह बार सरकारी अधिवक्ता के नहीं पहुंचने से अभ्यर्थियों ने जबरदस्त आक्रोश था। वहीं अभ्यर्थी बुधवार से शिक्षा निदेशालय पर धरने पर डटे हुए थे।
69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले को लेकर विभिन्न जनपदों से आए सैंकड़ों अभ्यर्थी बुधवार से बुधवार से निशातगंज स्थित शिक्षा निदेशालय में धरना प्रदर्शन कर रहे थे। अभ्यर्थियों में आक्रोश था कि याचिका में छठी बार सुनवाई में गत पांच सितंबर को सरकारी अधिवक्ता नहीं पहुंचे। जिसकी वजह से मामले की सुनवाई नहीं हो पाई और उनका भविष्य अधर में अटक गया है। बुधवार रात तक सभी अभ्यर्थी निदेशालय के परिसर में ही धरने पर डटे रहे। रात भर जगकर अभ्यर्थियों ने हनुमान चालीसा का पाठ भी किया। वहीं गुरुवार को सभी कोर्ट में मामले की तारीख का इंतजार कर रहे थे। देर शाम उच्च न्यायल में 19 सितंबर की तारीख मिलने के बाद सभी अभ्यर्थियों ने राहत की सास ली। जिसके बाद उन्होंने धरना समाप्त करने का एलान किया। बीटीसी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता शिवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि उनकी मांग पर न्यायालय में दायर याचिका की सुनवाई के मामले में दोपहर सरकार के महाधिवक्ता पहुंचे थे। न्यायालय से मामले के सुनवाई की तिथि 19 सितंबर लेकर चले गए।
पुलिस ने नहीं बढ़ने दिया हंगामा
मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता शिवेंद्र प्रताप सिंह, सर्वेश प्रताप सिंह, विनय प्रताप सिंह, अखिलेश शुक्ला, पंकज कुमार वर्मा, आयुषधर द्विवेदी, मनीष पांडेय ने बताया कि बुधवार सुबह से शुरू हुआ प्रदर्शन रात भर चला। महिलाएं और पुरुष अभ्यर्थी मांगों को लेकर रात भर खुले आसमान के नीचे बैठे रहे। सुबह से फिर प्रदर्शन नारेबाजी परिसर में शुरू हो गई। दोपहर सभी सुनवाई के लिए हाई कोर्ट पहुंचे जहां सरकार की ओर से महाधिवक्ता भी आए। पर सुनवाई के दौरान अगली तिथि 19 सितंबर दी गई। जिसके बाद वह सभी मायूस होकर लौट गए। लौटने के बाद सबने फिर प्रदर्शन और हंगामा शुरू कर दिया। जिसके बाद पुलिस अधिकारी पहुंचे। उन्होंने धमकाना शुरू कर दिया। धमकी के बाद प्रदर्शन बंद कर दिया। प्रदर्शन कर रहे सभी अभ्यर्थी नारेबाजी करते हुए चले गए। इस दौरान बड़ी सीओ कैंट संतोष कुमार सिंह, सीओ गाजीपुर दीपक कुमार समेत कई थानों का पुलिसबल और पीएसी तैनात रही।
यह है मामला
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार शिक्षक भर्ती के लिए छह जनवरी को लिखित परीक्षा कराई गई थी। इन पदों के लिए करीब साढ़े चार लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। जिसके बाद शासन ने भर्ती का कट ऑफ अंक तय किया। इसमें सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को 65 प्रतिशत व आरक्षित वर्ग को 60 फीसदी अंक पाना अनिवार्य किया गया। इसका अभ्यर्थियों के एक वर्ग खासकर शिक्षामित्रों ने कड़ा विरोध किया, साथ ही इसे हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती भी दी। याचिकर्ताओं की मांग है कि 68500 शिक्षक भर्ती में जिस तरह सामान्य व ओबीसी का 45 और एससी-एसटी का कटऑफ 40 प्रतिशत अंक तय किए गए थे, उसी के अनुरूप कटऑफ घोषित किए जाएं। शासन का तर्क था कि 68500 शिक्षक भर्ती में दावेदार महज एक लाख से अधिक थे, जबकि 69 हजार शिक्षक भर्ती के लिए साढ़े चार लाख दावेदार हैं इसलिए कटऑफ लिस्ट का बढ़ना सही है, इससे योग्य शिक्षक मिल सकेंगे। सीटों से अधिक अभ्यर्थी सफल होने से उन्हें कोई लाभ नहीं होगा। मामला फिलहाल उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। जिसमें पांच सितंबर को पेशी में सरकारी अधिवक्ता के नहीं पहुंचने से अभ्यर्थी आक्रोशित थे। वहीं अब केस की 19 सितंबर की तारीख दी गई है।
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