UP Panchayat Chunav Result 2021: दलित वोटों में सेंध के बावजूद मुकाबला त्रिकोणीय बनाने में सफल रही बसपा
UP Panchayat Chunav Result 2021 उत्तर प्रदेश में विधानसभा आम निर्वाचन का पूर्वाभ्यास माने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में बहुजन समाज पार्टी भले ही अपेक्षित प्रदर्शन न कर पाई हो परंतु मुकाबलों को तिकोना बनाने में कामयाब रही।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में विधानसभा आम निर्वाचन का पूर्वाभ्यास माने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में बहुजन समाज पार्टी भले ही अपेक्षित प्रदर्शन न कर पाई हो परंतु मुकाबलों को तिकोना बनाने में कामयाब रही। भीम आर्मी जैसे संगठनों के अलावा सपा व भाजपा द्वारा दलित वोटों में सेंध लगाने की कोशिशों के बावजूद बसपा वर्ष 2015 का प्रदर्शन दोहराने में सफल रही। ऐसे हालात में बसपा को सिर से खारिज करना उचित नहीं होगा।
खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा का दलित-मुस्लिम गठजोड़ कारगर दिखा। हालिया पंचायत चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो मेरठ, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, बुलंदशहर, बिजनौर में इस बार 272 में से बसपा ने 44 सीटेें जीतीं जबकि सपा 38 पर सिमट कर रह गई। बसपा का प्रदर्शन भीम आर्मी द्वारा आठ सीटें जीतने के बाद रहा। वर्ष 2015 में भीम आर्मी न होने का लाभ बसपा को मिला था। इन जिलों में बसपा 63 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को जीताने मेें सफल रही थी।
बसपा प्रवक्ता का कहना है कि कुछ जिलों को छोड़कर अधिसंख्य स्थानों में प्रदर्शन संतोषजनक रहा। खासकर आगरा, मथुरा, मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, गाजियाबाद, सहारनपुर, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, कानपुर देहात, जालौन, बांदा, चित्रकूट, लखीमपुर खीरी, हरदोई, सुुलतानपुर, बलरामपुर, संत कबीरनगर, महाराजगंज, आजमगढ़, मऊ, प्रयागराज, भदोही, मीरजापुर व चंदौली आदि जिलों में बेहतरीन परिणाम आए है।
दलित चिंतक डा. सुरेश गौतम का कहना है कि भाजपा के अलावा सपा भी दलित वोटों में पकड़ बनाने का हर संभव जतन कर रहे है परंतु इतने भर से दलितों का बसपा से मोह भंग करा पाना आसान नहीं होगा। सपा रालोद को साथ लेकर लड़ी है जबकि बसपा को भीम आर्मी जैसे दलितों के उग्र संगठनों से भी चुनौती मिल रही थी।
उधर, सपा द्वारा दलित महापुरुषों की जयंती व पुण्यतिथि जैसे आयोजन गंभीरता से मनाए जा रहे है। लोहिया वाहिनी की तरह बाबा साहेब वाहिनी का गठन करना भी सपा दलित एजेंडे का हिस्सा है। बसपा के बागियों को अपने साथ में जोड़कर समाजवादी पार्टी दलित वोटों में बड़ी घुसपैठ चाहती है। इसके बावजूद पंचायत चुनाव के नतीजों से सिद्ध होता है कि बसपा को खारिज करके सपा का सत्ता में वापसी कर पाना आसान नहीं होगा।