बिगड़ी सोशल इंजीनियरिंग को सुधारने में जुटी बसपा, यादवों के अलावा अन्य पिछड़ी जातियों पर फोकस
समाजवादी पार्टी को कमजोर करके उत्तर प्रदेश में दूसरे स्थान पर आने की कोशिश में जुटी बसपा ने यादवों के अलावा अन्य पिछड़ी जातियों पर फोकस करने की रणनीति तय की है।
लखनऊ, जेएनएन। गठबंधन तोड़ने के बाद बसपा ने वर्ष 2007 की तरह सोशल इंजीनियरिंग को सुधारने की कोशिशें तेज की है। खासकर मुस्लिमों व अन्य पिछड़ों को जोड़कर बसपा ने उपचुनावों में बेहतर नतीजे पाने के साथ 2022 में सत्ता हासिल करने का लक्ष्य भी तय किया है।
समाजवादी पार्टी को कमजोर करके उत्तर प्रदेश में दूसरे स्थान पर आने की कोशिश में जुटी बसपा ने यादवों के अलावा अन्य पिछड़ी जातियों पर फोकस करने की रणनीति तय की है। इसके लिए भाईचारा कमेटियों को प्रभावी बनाने के साथ संगठन विस्तार में युवाओं को प्राथमिकता देने के निर्देश भी दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि अन्य दलों में गए पार्टी के पुराने नेताओं की वापसी के लिए भी बसपा ने दरवाजे खोले हैैं।
शाहूजी महाराज जयंती के जरिए कुर्मी समाज पर डोरे
सर्वसमाज को जोड़ने के अभियान में मायावती ने बुधवार को एक के बाद एक दो ट्वीट करके छत्रपति शाहू जी महाराज की जयंती पर बसपा शासन में उनके नाम पर किए गए कार्य गिनाते हुए कुर्मी समाज को लुभाने की कोशिश की है। मायावती ने ट्वीट किया- 'अपने देश में आरक्षण के जनक कुर्मी (ओबीसी) समाज से ताल्लुक रखने वाले कोल्हापुर महाराष्ट्र के शासक रहे छत्रपति शाहूजी महाराज को आज उनके जन्मदिन पर शत- शत नमन। वह देश के उन महान सपूतों में से थे जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता है।'
दूसरे ट्वीट में लिखा, 'जातिवाद के खिलाफ छत्रपति शाहूजी महाराज जैसे महापुरुषों के कर्ज को कभी नहीं उतारा जा सकता है। उनकी स्मृति को चिर स्थायी बनाने के लिए बीएसपी सरकार ने लखनऊ मेें उनके नाम से मेडिकल यूनिवर्सिटी व नए जिले बनाए।'
मुस्लिमों में दानिश पर दांव
मुस्लिमों को जोड़ने की बसपा की प्राथमिकता हमेशा ही रही है। दलित मुस्लिम गठजोड़ की मजबूती के लिए मुस्लिमों को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने के साथ उनसे जुड़े मामले बढ़-चढ़ कर उठाना मायावती की रणनीति का हिस्सा है, जिसके चलते भाजपा के खिलाफ आक्रामक बयानबाजी भी करती रही हैं। नसीमुद्दीन की बगावत के बाद मायावती ने मुनकाद अली व नौशाद जैसे नेताओं को आगे किया परंतु अब अमरोहा के सांसद निर्वाचित हुए दानिश अली को संसदीय दल का नेता बनाकर उन्होंने मुस्लिम युवा वर्ग में संदेश देने की कोशिश की है।
बसपा पिछड़ा वर्ग को साधने के साथ ही ब्राह्मणों पर निगाह रखे है। सतीश चंद्र मिश्र को राज्यसभा में दलनेता बनाए रखने के साथ बागी हुए रामवीर उपाध्याय का विकल्प भी तलाशना शुरू किया है।
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