Move to Jagran APP

गठबंधन तोडऩे के साथ अब सपा का वोट बैंक भी बसपा के निशाने पर

बहुजन समाज पार्टी अब प्रदेश में मिशन-2022 की तैयारी में जुटी है। बसपा ने अब सपा के बेस वोटबैंक (यादव- मुस्लिम) को झटकने की कोशिशें तेज कर दी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 24 Jun 2019 11:00 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jun 2019 11:05 PM (IST)
गठबंधन तोडऩे के साथ अब सपा का वोट बैंक भी बसपा के निशाने पर
गठबंधन तोडऩे के साथ अब सपा का वोट बैंक भी बसपा के निशाने पर

लखनऊ, जेएनएन। सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की बात करने वाली बहुजन समाज पार्टी की योजना अब समाजवादी पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचाने की है। समाजवादी पार्टी से हर तरह का गठबंधन तोडऩे के बाद अब भविष्य में गठबंधन न करने की घोषणा करने वाली बसपा प्रमुख मायावती का लोकसभा चुनाव में पराजय की ठीकरा समाजवादी पार्टी पर फोड़ देना उनकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।

loksabha election banner

बहुजन समाज पार्टी अब प्रदेश में मिशन-2022 की तैयारी में जुटी है। बसपा ने अब सपा के बेस वोटबैंक (यादव- मुस्लिम) को झटकने की कोशिशें तेज कर दी है। कल बसपा की राष्ट्रीय बैठक में मायावती ने मुस्लिमों को टिकट देने के मुद्दे पर जिस तरह अखिलेश को कठघरे में खड़ा किया है, उससे खुद को सपा की तुलना में बड़ा शुभचिंतक सिद्ध करने की कोशिश की। मुस्लिमों को अधिक टिकट देने से रोकने जैसा आरोप भी लगाया। समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 में अपने कोटे की 37 सीट पर चार मुस्लिमों को टिकट दिए थे जबकि बसपा ने छह को मैदान में उतारा। दोनों दलों के तीन -तीन मुस्लिम सांसद विजयी हुए थे।

मुस्लिम राजनीति की नब्ज पहचानने वाले डा.नदीम अख्तर का कहना है कि भाजपा को रोकने के लिए मुस्लिमों को दलित जैसा बड़ा व ठोस बैंक चाहिए। लोकसभा चुनाव में केवल दलित वोट बैंक ही मुस्लिम प्रत्याशी को ट्रांसफर हो सका जबकि यादव बाहुल्य इलाकों में ऐसा अपेक्षा कृत कम हुआ।

नेतृत्व क्षमता पर सवाल

बसपा प्रमुख मायावती ने लोकसभा चुनाव- प्रचार के दौरान भी समाजवादी पार्टी की कार्यशैली सवाल उठाते हुए अक्सर ही बसपा से अनुशासन सीखने की सलाह दी। चुनाव परिणाम आने के बाद मायावती ने यादव वोटों में बिखराव की तोहमत अखिलेश पर लगायी। परिवार को एकजुट न रखने और उससे चुनाव में नुकसान होने के कारण गिनाए। खुद को बेहतर संगठन कर्ता जताने की बार बार प्रयास किए। यादवों में एक बड़ा हिस्सा भाजपा के पक्ष में जाने जैसे आरोप लगाकर भी मुस्लिमों को लुभाने के प्रयास किए जाते रहें।

यह भी पढ़ें: बसपा शासन में चलता था आनंद कुमार का सिक्का, आकाश लोकसभा चुनाव में बने स्टार प्रचारक

दस सांसद जीतने का मिला लाभ

गठबंधन में बसपा को दस सांसद के जीतने का लाभ भी मिला जबकि सपा पुश्तैनी सीटें भी न बचा सकीं। इस दौरान भाजपा से सीधे मुकाबले में बने रहने के लिए मायावती लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे हमले करके मुस्लिमों का भरोसा जीतने की कोशिश करती रही। बसपा के एक पूर्व विधायक का कहना है विधानसभा चुनाव में भी पार्टी मुस्लिमों को अधिक टिकट देगी। साथ ही अन्य जातियों को जोडऩे के लिए वर्ष 2007 की तरह भाईचारा कमेटियों को सक्रिय करने की तैयारी है।

सपा ने गठबंधन ईमानदारी से निभाया

मायावती के आरोपों पर सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि अखिलेश यादव का चरित्र किसी को धोखा देने वाला नहीं है। यहां तो सपा ने पूरी ईमानदारी से गठबंधन धर्म निभाया है। 

यह भी पढ़ें: परिवारवाद की जद में मायावती भी, भाई आनंद को उपाध्यक्ष तो भतीजे आकाश को बनाया नेशनल कोऑर्डिनेटर

यह भी पढ़ें: बुआ-भतीजा के रिश्ते में बढ़ी खटास : मायावती का अखिलेश पर बड़ा हमला, चुनाव में हार के कारण भी गिनाए

यह भी पढ़ें...बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार की दो वर्ष में दूसरी बार की ताजपोशी

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.