Move to Jagran APP

कांग्रेस को मायावती का झटका, राजस्थान और MP में अकेले चुनाव लड़ेगी बसपा

बीएसपी सुप्रीमों मायावती ने सीटों को लेकर बात न बनने पर राजस्थान और मध्य प्रदेश में बसपा ने कांग्रेस से गठबंधन न कर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 04:52 PM (IST)Updated: Thu, 04 Oct 2018 10:17 AM (IST)
कांग्रेस को मायावती का झटका, राजस्थान और MP में अकेले चुनाव लड़ेगी बसपा
कांग्रेस को मायावती का झटका, राजस्थान और MP में अकेले चुनाव लड़ेगी बसपा

लखनऊ [जेएनएन]। गत उपचुनावों में गठबंधन को मिली जीत से उत्साहित गैरभाजपा दलों को बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती के तेवरों से झटका लगा है। खासकर कांग्रेस व समाजवादी खेमे में बेचैनी ज्यादा है क्योंकि सबसे अधिक 80 संसदीय सीटों वाले प्रदेश में भाजपा का विजयी रथ रोकने के लिए प्रमुख विपक्षी दलों में एका जरूरी माना जा रहा है।

loksabha election banner


कांग्रेस में बेचैनी इसलिए भी अधिक है क्योंकि प्रदेश में संगठन की स्थिति बेहतर नहीं है। चुनावी तैयारी के नाम पर कोई कार्ययोजना नहीं बनायी जा सकी। वहीं प्रदेश कमेटी के पुनर्गठन में भी पेंच फंसा है। जिला-शहर अध्यक्षों में बदलाव का कार्य भी अब तक पूरा नहीं हो सका है। नाम न छापने के अनुरोध के साथ एक पूर्व विधायक ने स्वीकार किया कि राष्ट्रीय नेतृत्व भी प्रदेश में कांग्रेस को मजबूती के लिए गंभीर नहीं दिखता। गठबंधन की उम्मीद में चुनावी तैयारियों पर भी अपेक्षित ध्यान नहीं दिया रहा।


गठबंधन न होने की स्थिति में भाजपा को सीधा लाभ मिलना तय है क्योंकि जातीय वोटों में बिखराव होगा तो वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष ही घाटे में रहेगा। सूत्रों का कहना है कि सपा-बसपा ही नहीं, जातीय आधार पर बने छोटे दलों को भी साथ जरूरी होगा। रालोद, महान दल, पीस पार्टी जैसी पार्टियां भी अपने क्षेत्र में असर रखती है।

आंतरिक कलह सपा को भारी
बसपा प्रमुख मायावती द्वारा छत्तीसगढ़ के बाद कांग्रेस को दूसरा झटका दिए जाने से समाजवादी पार्टी भी हैरत में है। सूत्रों का कहना है कि सपा में आंतरिक कलह बढऩे और शिवपाल यादव द्वारा सेक्युलर मोर्चा गठित किए जाने से भी समाजवादी खेमा सुखद स्थिति में नहीं है। यह भी माना जा रहा है कि बार-बार सम्मानजनक सीटें नहीं मिलने पर अकेले ही चुनाव लडऩे का एलान कर रहीं बसपा प्रमुख कहीं ऐन मौके पर सपा को झटका न दे दें। ऐसे हालात बने तो समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ेंगी।

बसपा की 2022 पर निगाहें
बसपा नेतृत्व केवल वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव पर ही नहीं वरन वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर निगाह भी लगाए है। बसपा दलित मुस्लिम के समीकरण को मजबूती देना चाहती है। एक पूर्व जोनल कोआर्डिनेटर का कहना है कि जो सियासी हालात बनते दिख रहे हैं, उसमें मुस्लिम भाजपा को हराने के लिए बसपा के साथ में आना चाहेंगे। महागठबंधन न होने की स्थिति में मुस्लिमों का स्वाभाविक झुकाव बसपा की ओर रहेगा। इसका लाभ 2022 के चुनाव में भी मिलेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.