बसपा मुखिया मायावती ने बलिया के रसड़ा से विधायक उमाशंकर सिंह को बनाया बसपा विधानमंडल दल का नेता
मायावती ने शुक्रवार को मीडिया में जारी बयान में कहा कि मैं आपको यह बताना चाहती हूं कि हमारी पार्टी के वरिष्ठ विधायक उमाशंकर सिंह को बीएसपी विधानमंडल दल का नेता बना दिया गया है। इनको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
लखनऊ, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शुक्रवार को बलिया के रसड़ा से विधायक उमाशंकर सिंह को बसपा विधानमंडल का नेता नियुक्त किया है। बसपा विधानमंडल दल के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दिया था, तभी से यह पद खाली चल रहा था।
बलिया के रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से सदस्य उमाशंकर सिंह 2012 के बाद 2017 में मोदी लहर में भी चुनाव जीते थे। रसड़ा विधानसभा क्षेत्र को फ्री वाइ-फाइ सेवा दिलाने वाले उमाशंकर सिंह को शुक्रवार को विधानमंडल दल का नेता घोषित करने के बाद बसपा मुखिया मायावती ने उनको बधाई भी दी है।
मायावती ने शुक्रवार को मीडिया में जारी बयान में कहा कि मैं आपको यह बताना चाहती हूं कि हमारी पार्टी के वरिष्ठ विधायक उमाशंकर सिंह को बीएसपी विधानमंडल दल का नेता बना दिया गया है। इनको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) ने उत्तर प्रदेश के विधायकों की जो कुंडली जारी की है, उसके अनुसार रसड़ा से बसपा के विधायक उमाशंकर सिंह अधिक सम्पत्ति वाले प्रदेश के टॉप दस विधायकों में हैं। बसपा विधायक उमाशंकर सिंह का नाम नौवें नम्बर पर दर्ज है। रसड़ा विधायक उमाशंकर सिंह आयकर विवरण में सबसे ज्यादा वार्षिक आय घोषित करने वाले विधायकों में शीर्ष पर हैं। धनी विधायकों में नम्बर एक पर आजमगढ़ के मुबारकपुर से विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली का नाम है।
गौरतलब है कि बसपा विधानमंडल दल के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने गुरुवार को विधानसभा सदस्य के साथ ही पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दिया था। आजमगढ़ के मुबारकपुर से विधायक शाह आलम को मायावती ने इसी वर्ष तीन जून को ही पार्टी के विधानमंडल दल का नेता बनाया था। शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली आजमगढ़ के मुबारकपुर से 2012 तथा 2017 में विधानसभा का चुनाव जीते हैं। बसपा ने जमाली को 2014 में आजमगढ़ लोकसभा सीट से मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भी मैदान में उतारा था। शाह आलम को मायावती का बेहद करीबी माना जाता था। बीते वर्ष राज्यसभा चुनाव के बाद जब कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ी और बगावती रुख अख्तियार किया तो शाह आलम पर ही मायावती ने भरोसा जताया था। इसी के बाद उन्हें विधानमंडल के नेता जैसे प्रमुख पद की जिम्मेदारी भी सौंपी थी।