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Defence Expo : नौ हजार किलोमीटर की रफ्तार से अचूक बनेगी ब्राम्होस, कई देशों की नजरें इस अचूक अस्त्र पर

डिफेंस एक्सपो-2020 परीक्षणों के बाद ब्राम्होस न केवल हाइपरसोनिक होगी बल्कि अधिक दूर तक निशाने को भेदनेे में सक्षम होगी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 07:14 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 07:14 PM (IST)
Defence Expo : नौ हजार किलोमीटर की रफ्तार से अचूक बनेगी ब्राम्होस, कई देशों की नजरें इस अचूक अस्त्र पर
Defence Expo : नौ हजार किलोमीटर की रफ्तार से अचूक बनेगी ब्राम्होस, कई देशों की नजरें इस अचूक अस्त्र पर

लखनऊ [राजीव बाजपेयी]। दुनिया के सबसी तेज क्रूज मिसाइल का तमगा हासिल कर चुकी मेक इन इंडिया ब्राम्होस या फिर चंद्रयान व गगन यान। भारतीय तकनीक का लोहा दुनिया जमीन से अतंरिक्ष तक मान रही है। डिफेंस एक्सपो में भारत की सैन्य क्षमताओं का नए आयाम दे रहे वैज्ञानिक और संस्थान अब भविष्य की सेना तैयार करने में लगे हैं जो किसी भी तरह की चुनौती के लिए तैयार रहेगी। मेक इन इंडिया और पूरी तरह स्वदेशी तकनीक के दम पर तेजस जैसा लड़ाकू विमान बनाने वाले भारत के हथियारों की ओर आज दुनिया के तमाम देशों का बाजार देख रहा है। 

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सामरिक मोर्चे पर भारत के परंपरागत सहयोगी देश रूस की मदद से तैयार की गयी ब्राम्होस फिलहाल तीन मैक की स्पीड से 290 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के ठिकाने को नेस्तानाबूत करने की क्षमता रखती है। ब्राम्होस की खासियत है कि इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान और जमीन आधारित लांचर से छोड़ा जा सकता है। भारत ने अपने सबसे उन्नत लड़ाकू विमान सुखोई को इससे लैस करना शुरू कर दिया है और पहली स्क्वाड्रन तैयार हो गयी है। डिफेंस एक्सपो में दुनिया भर के खरीदारों की नजरें ब्राम्होस पर लगी हैं। शायद यही वजह है रही कि कई विदेशी कंपनियां और सैन्य विशेषज्ञ ब्राम्होस के बारे में जानकारी लेते नजर आए। भारत के इस अचूक अस्त्र को और धार देने की तैयारी है। ब्राम्होस एयरोस्पेस के चीफ जरनल मैनेजर प्रवीण पाठक का कहना है कि इस हाइपर सोनिक बनाने पर तेजी से काम चल रहा है।

अपने बूते अंतरिक्ष से यात्रियों को वापस लाएगा गगन यान

कभी भारत के लिए अंतरिक्ष एक सपना था लेकिन वैज्ञानिकों ने चुनौतियों  ंको पीछे छोड़ते हुए अपने बूते अंतरिक्ष यात्री भेजने की ओर कदम बढ़ा दिया है। चंद्रयान दो भले ही अपने मिशन में कामयाब नहीं हो सका लेकिन इसके बावजूद भारत की अंतरिक्ष की ताकत का लोहा पूरी दूनिया ने माना है। डिफेंस एक्सपो में डीआरडीओ के पवैलियन में गगनयान की खासियत जानने को हर कोई बेताब है। एरियल डिलीवरी रिसर्च डवलपमेंट के निदेशक एके सक्सेना के मुताबिक भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमारी कोशिश है कि 2022 में गगनयन के जरिए ही अंतरिक्ष यात्रियों की सकुशल वापसी करायी जाए।

दरअसल इससे पहले गगनयान को कई जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसका परीक्षण कई चरणों में सुपर सोनिक स्पीड पर होता है जिसे आईटीआरएस प्रणाली से किया जा रहा है। खास बात है कि परीक्षण सफल रहे तो इस वर्ष के अंत में ही अनमैंड गगनयान का परीक्षण किया जाएगा। यह भारत के अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में बहुत बड़ा कदम होगा। अहम बात है कि इस पर आगरा में ही काम चल रहा है जो यूपी के लिए भी गर्व की बात है।

अमेरिकी होवित्जर तोप में देसी बैरल 

अमेरिकर में निर्मित और दुश्मनों किसी काल से कम नहीं एम-777 होवित्जर गन में अब भारत की कंपनी कल्याणी ग्रूप द्वारा निर्मित बैरल लगायी जा रही है। मेक इन इंडिया के तहत इसका उत्पादन भारत में होगा। होवित्जर गन अमेरिका की उन्नत श्रेणी का हथियार है जिसकी कई देशों में बेहद मांग है लेकिन अमेरिका केवल मित्र देशों को ही बेचता है। इसका उदहरण है कि अब तक अमेरिका ने यह गन केवल अपने खास मित्र देशों आस्ट्रेलिया, कनाडा और साऊदी अरब को ही सप्लाई की है। वर्ष 2005 से यह अमेरिकी सेना के लिए अचूक अस्त्र है और खाड़ी तथा अफगानिस्तान में यह बेहद कारगर रही है। मेक इन इंडिया के तहत अब भारत के साथ करार किया है। इस करार के तहत अमेरिका के साथ 145 होवित्सर गन तैयार की जाएंगी। जाहिर है इससे सेना की ताकत में जबर्दस्त इजाफा होगा।


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