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लाइलाज हड्डी की कमजोरी अब कम खर्च में दूर होगी

लखनऊ के संजय गांधी पीजीआइ में आयोजित डायबिटिक इंडोक्राइन अपडेट में भाग लेने आए प्रो.संजय की खोज से हड्डी को मजबूत करना संभव होगा।

By amal chowdhuryEdited By: Published: Sun, 19 Mar 2017 10:29 AM (IST)Updated: Sun, 19 Mar 2017 10:34 AM (IST)
लाइलाज हड्डी की कमजोरी अब कम खर्च में दूर होगी
लाइलाज हड्डी की कमजोरी अब कम खर्च में दूर होगी

लखनऊ (कुमार संजय)। आस्टियोपोरोसिस (हड्डी की कमजोरी) के इलाज के लिए चल रही दवाएं पांच से दस फीसदी लोगों में कारगर साबित नहीं हो रही हैं। इस बीमारी में हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि जरा सा झटका लगने पर टूट जाती हैं। ऐसे मरीजों के लिए चंडीगढ़ पीजीआइ के प्रो.संजय कुमार भडादा ने उम्मीद जगाई है। इनकी खोज को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है।

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संजय गांधी पीजीआइ में आयोजित डायबिटिक इंडोक्राइन अपडेट में भाग लेने आए प्रो.संजय की खोज से हड्डी को मजबूत करना संभव होगा। अभी तक रीकॉम्बिनेंट ह्यूमन पीटीएच हार्मोन दो साल तक रोज दिया जाता है। इसका एक महीने में 20 हजार रुपये का खर्च आता है, जो आम आदमी के लिए संभव नहीं है। हमने पीटीएच हार्मोन को दो वर्ग में मरीजों को बांट कर शोध किया।

एक वर्ग के मरीजों को सप्ताह में एक बार यह हारमोन दिया गया। वहीं दूसरे वर्ग को पहले की तरह रोज दिया गया। जो अंतर देखने को मिला उसमें सप्ताह में एक बार जिसे हार्मोन दिया गया उसकी हड्डी की मजबूती (बीएमडी) बढ़ गई। जबकि जिन्हें रोज हार्मोन दिया गया उनकी हड्डी मजबूत तो हुई लेकिन एक समय के बाद एक स्तर पर रुक गई। प्रो.संजय ने बताया कि यह हार्मोन दो साल तक ही दिया जा सकता है। इसलिए हमने सप्ताह में एक बार इसलिए दिया ताकि इसे छह साल तक दिया जा सके। इसमें देखा गया कि सप्ताह में एक बार हार्मोन देने से हड्डी से कैल्शियम निकालने वाले सेल ऑस्टियोक्लास्ट की क्रियाशीलता कम हुई, जिससे हड्डी मजबूत हुई।

एक्सचेंज प्रक्रिया से मजबूत रहती है हड्डी: हड्डी में आस्टियोक्लास्ट कैल्शियम को निकालता है और आस्टियोब्लास्ट कैल्शियम जमा करता है। यह प्रक्रिया सामान्य तौर पर चलती है, जिससे हड्डी मजबूत बनी रहती है। दोनों सेल बराबर काम करते हैं लेकिन उम्र बढ़ने के साथ आस्टियोक्लास्ट अधिक क्रियाशील हो जाता है जिससे हड्डी कमजोर होने लगती है।

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एंटीबॉडी मजबूत करेगी हड्डी: हड्डी में बनने वाले स्केलोस्टीन हार्मोन के खिलाफ एंडीबॉडी देकर इसकी क्रियाशीलता कम की जाती है। इससे हड्डी में कैल्शियम जमा किया जा सकता है। नई दवा रोमोसुजूमेव एंटीबॉडी आ गई है लेकिन अभी भारत में उपलब्ध नहीं है। कई बार हड्डी में अधिक कैल्शियम जमा हो जाता है जिससे हड्डी में कड़ापन अधिक और लचीलापन कम हो जाता है। इसे आस्टियोपिट्रोसिस कहते है। हड्डी में बनने वाला स्केलोस्टीन हार्मोन हड्डी में कैल्शियम की अधिकता को रोकता है। इस हार्मोन में असंतुलन होने पर हड्डी में अधिक कैल्शियम जमा हो जाता है। अब यदि कैल्शियम की कमी वाली बीमारी आस्टियोपोरोसिस में इस हार्मोन की क्रियाशीलता कम कर दी जाए तो हड्डी में कैल्शियम जमा होना शुरू हो जाएगा। इसी तथ्य पर नई एंटीबॉडी तैयार हुई है।

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