कालेधन के खिलाडिय़ों ने फिर दबा लिये 2000 करोड़ रुपये
विभिन्न बैंकों की करेंसी चेस्ट से जुड़े लोगों को इसका अंदाजा तब लगा जब बैंकों में जमा होने वाली राशि में दो हजार रुपये के नोटों की संख्या करीब तीस फीसद कम दिखी।
कानपुर (जेएनएन)। कालेधन के खिलाडिय़ों ने फिर दो हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम दबा ली है। ये सारी रकम दो हजार रुपये के नोट में बताई जा रही। नवंबर में जारी होने के बाद कानपुर के विभिन्न बैंकों को दो हजार रुपये के नोटों में छह हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम जारी की गई थी लेकिन अभी प्रचलन में चार हजार करोड़ रुपये के आसपास की रकम ही है। विभिन्न बैंकों की करेंसी चेस्ट से जुड़े लोगों को इसका अंदाजा तब लगा जब बैंकों में जमा होने वाली राशि में दो हजार रुपये के नोटों की संख्या करीब तीस फीसद कम दिखी।
चौदह अप्रैल के बाद सहालग, स्कूल कालेज में एडमिशन और खेती किसानी की आय के बाद बाजारों में खरीदारी बढ़ी। दिलचस्प यह है कि बाजारों में भीड़ है। कारोबारी मान रहे हैं कि खरीददारी में उछाल है लेकिन बैंकों में जमा होने वाली रकम में करीब तीस फीसद की कमी आई है। नयागंज स्थित एक बैंक की शाखा में मार्च तक रोजाना करीब सवा करोड़ रुपये जमा होने का औसत था।
वह घटकर 70 से 80 लाख रुपये हो गया है। ऐसे ही बिरहाना रोड की एक शाखा में रोजाना औसत दो करोड़ रुपये जमा होते थे लेकिन अप्रैल का औसत करीब डेढ़ करोड़ रुपये रहा। इन शाखाओं में कैश के रूप में दस रुपये, सौ रुपये और पांच सौ रुपये के नोट अधिक जमा हुए हैं। इन दो शाखाओं में जमा होने वाली रकम में दो हजार रुपये के नोट की संख्या 15 फीसद के आसपास ही है जबकि पहले यह 35 से 40 फीसद थी।
चेक और कैश जमा में भी कमी
बैंकों के कैश और चेक जमा में भी कमी आई है। मार्च में औसत जमा जहां 150 करोड़ रुपये प्रतिदिन था वहीं अप्रैल में यह 95 से 100 करोड़ रुपये रहा। बैंकों के क्लीयरिंग हाउस में आने वाले चेकों की संख्या में भी करीब 25-30 फीसद की कमी आई है। अंदाजा लगा सकते हैं कि एसबीआइ के चेक प्रतिदिन नौ हजार से घटकर 7000, बैंक ऑफ बड़ौदा के 3600 से घटकर 2500, सेंट्रल बैंक के 2100 से 1600, यूनियन बैंक के 2900 से घटकर 2200 तक आ गए हैं। इन चेकों की राशि भी करीब बीस फीसद कम है। पहले चेकों से क्लीयङ्क्षरग करीब 350 करोड़ रुपये की थी। इस समय रोजाना की क्लीयरिंग औसतन 280 करोड़ रुपये की है।