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भाजपा कार्यकारिणी : पिछड़ों और ब्राह्मणों पर बिछाई जीत की बिसात

भाजपा कार्यकारिणी में 2017 में उत्तर प्रदेश चुनाव जीत की बिसात बिछी नजर आई है।लक्ष्मीकांत वाजपेयी और विजय बहुगुणा को कार्यकारिणी में शामिल कर भाजपा ने साफ किया कि पिछड़ों और ब्राह्मण जोड़कर पार्टी मंजिल तय करेगी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 12 Jun 2016 10:42 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jun 2016 10:51 PM (IST)
भाजपा कार्यकारिणी : पिछड़ों और ब्राह्मणों पर बिछाई जीत की बिसात

लखनऊ (आनन्द राय)। कांग्रेस की विरासत के गढ़ से भाजपा ने 2017 में उत्तर प्रदेश जीतने के लिए अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल कर भाजपा ने साफ कर दिया कि पिछड़ों के साथ ही ब्राह्मणों को जोड़कर पार्टी अपनी मंजिल तय करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी ने पहले ही पूर्वांचल व मध्य क्षेत्र में पिछड़ों-दलितों के ताने-बाने के साथ महीन बुनावट शुरू कर दी थी। इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता कि वाजपेयी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने का फैसला ब्राह्मणों को रास नहीं आया था। राष्ट्रीय कार्यसमिति के शुभारंभ के पहले वाजपेयी को कार्यकारिणी में लाकर भाजपा ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है। उद्घाटन सत्र में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और लखनऊ के मेयर डॉ. दिनेश शर्मा को विशेष महत्व मिलने को भी इसी नजरिए से देखा जा रहा है। ब्राह्मण चेहरे के तौर पर विजय बहुगुणा को आगे कर भाजपा ने एक चाभी से दो ताले खोलने का काम किया है। कहने को तो बहुगुणा उत्तराखंड के हैं लेकिन उनका इलाहाबाद से भी वैसा ही नाता है। किसी दौर में इलाहाबाद की सियासत विजय बहुगुणा के पिता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा के इर्द-गिर्द घूमती थी। उन्होंने पूरी ताकत से इंदिरा गांधी को चुनौती दी थी। पार्टी ने आवासीय और यातायात समेत तमाम असुविधाओं के बावजूद इलाहाबाद में राष्ट्रीय कार्य समिति का फैसला लिया तो मकसद दो ही थे। अव्वल तो पिछड़ी जाति के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को स्थापित करना और दूसरा कांग्रेस मुक्त भारत के अभियान में एक और कड़ी जोडऩा। इस कसौटी पर विजय बहुगुणा मुफीद साबित हुए क्योंकि उन्होंने हाल में कांग्रेस के लिए लगातार मुश्किलें खड़ी कीं और भविष्य में गांधी-नेहरू परिवार पर हमले के लिए भाजपा उन्हें आगे कर सकती है। पिछड़ों के प्रतिनिधित्व की तस्वीर साफ करने के लिए भाजपा ने मोदी की परिवर्तन रैली की भी कमान पिछड़ी जाति के स्वतंत्र देव सिंह को सौंपी है।

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जातीय क्षत्रप जोडऩे की पहल

अमित शाह 31 मई की रैली से पिछड़ों को जोडऩे का अभियान शुरू कर चुके हैं लेकिन इसको और पुख्ता करने के लिए भाजपा छोटे दलों की हिस्सेदारी तय कर सकती है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर समेत कई जातीय क्षत्रप भाजपा के साथ बातचीत में लगे हैं। राष्ट्रीय कार्य समिति के मीडिया संयोजक धर्मेन्द्र सिंह कहते हैं कि इस समय भाजपा के साथ जुडऩे के लिए कई छोटे-बड़े दल लालायित हैं पर होगा वही जो भाजपा चाहेगी।


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