बहराइच में 2017 में बीजेपी ने जीती थी छह विधानसभा सीटें, इस बार पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती
विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। पिछले चुनाव में बहराइच में सपा महज प्रदेश सरकार में मंत्री यासर शाह की मटेरा सीट ही बचा सकी थी। भाजपा ने यहां की सात में से छह सीटें जीत कर इतिहास रच दिया था।
बहराइच, [मुकेश पांडेय] । विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। पिछले चुनाव में बहराइच में सपा से गठबंधन के बावजूद कांग्रेस साफ हो गई थी, जबकि सपा महज प्रदेश सरकार में मंत्री यासर शाह की मटेरा सीट ही बचा सकी थी। बसपा को अपनी इकलौती सीट से भी हाथ धोना पड़ा था। भाजपा ने यहां की सात में से छह सीटें जीत कर इतिहास रच दिया था। यही कारण है कि अब उसके सामने पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है।
हिमालय की तलहटी हमेशा से सियासी दृष्टि से कमल खिलने में सहायक रही है। यही कारण रहा कि भाजपा 2012 में भी यहां की दो सीटें कैसरगंज व बलहा से जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी और जैसे ही 2017 में अनुकूल माहौल मिला, उसने सात में छह सीटों पर भगवा ध्वज फहरा दिया। कैसरगंज से सहकारिता मंत्री मुकुटबिहारी वर्मा लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने में कामयाब रहे तो बलहा सुरक्षित से अछैबरलाल गोंड को सफलता मिली। उनके 2019 में सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव में भाजपा की सरोज सोनकर विधायक चुन ली गईं। सदर सीट से अनुपमा जायसवाल ने जीत दर्ज कर सपा की लगातार पांच जीत के बाद विजय रथ रोक दिया। महसी से सुरेश्वर सिंह ने जीत दर्ज कर बसपा की इकलौती सीट छीन ली। पयागपुर से सुभाष त्रिपाठी, नानपारा से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आईं माधुरी वर्मा जीत दर्ज करने में कामयाब रहीं।
अब माधुरी वर्मा ''साइकिल'' पर सवार हाे चुकी हैं। मटेरा में यासर शाह की जीत से सपा अपनी पिछली दो में से एक सीट बचाने में कामयाब रही, जबकि उससे गठबंधन के बावजूद कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा। कांग्रेस काे 2012 में नानपारा व पयागपुर में सफलता मिली थी। 2017 में उसका खाता भी नहीं खुला। इस चुनाव में भाजपा पिछला प्रदर्शन दाेहराने के लिए पूरी ताकत से जुटी हुई है, जबकि सपा भी मुकाबले में आने के लिए एड़ी से चोटी का जोर लगा रही है। बसपा और कांग्रेस चुनाव में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए जद्दोजहद करती नजर आ रही है।