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मिशन 2019 के लिए विधान परिषद का चेहरा चुनेगी भाजपा

सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल समेत सपा के आठ सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 04 Apr 2018 12:02 PM (IST)Updated: Wed, 04 Apr 2018 12:10 PM (IST)
मिशन 2019 के लिए विधान परिषद का चेहरा चुनेगी भाजपा
मिशन 2019 के लिए विधान परिषद का चेहरा चुनेगी भाजपा

लखनऊ [आनन्द राय] । विधान परिषद की 13 सीटों के लिए 26 अप्रैल को होने जा रहे चुनाव में भाजपा के कब्जे में 11 सीटें आनी तय हैं। संख्या बल के आधार पर दो सीटें विपक्ष के हिस्से में आ रही हैं। भाजपा लोकसभा चुनाव के समीकरण के लिहाज से अपने उम्मीदवारों का चेहरा चुनेगी। सपा-बसपा गठबंधन की वजह से भाजपा का जोर अति दलित और अति पिछड़ों पर रहेगा, जबकि सपा बसपा से गठबंधन मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

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सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल समेत सपा के आठ सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। सदन में अखिलेश यादव की मौजूदगी बनी रहे इसलिए उन्हें भेजना पहली प्राथमिकता होगी। हालांकि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में कन्नौज से उनकी उम्मीदवारी की घोषणा हो जाने से यह भी उम्मीद है कि नरेश उत्तम या किसी अन्य सदस्य को सपा रिपीट कर दे। उधर, राज्यसभा में न पहुंच सके भीमराव आंबेडकर को विधान परिषद में भेजकर बसपा आंबेडकर नाम का सियासी दांव फिर खेल सकती है। इससे सपा का रिटर्न गिफ्ट का वादा भी पूरा हो जाएगा।

ज्यादा संभावना आंबेडकर के ही नाम का है लेकिन, परिषद में बसपा दल के नेता सुनील चित्तौड़ का कार्यकाल खत्म होने की वजह से उन्हें भी पार्टी रिपीट कर सकती है। विशेष परिस्थिति में बसपा मुस्लिम उम्मीदवार पर भी दांव लगा सकती है। एक उम्मीदवार को जीत के लिए 29 मतों की जरूरत है। भाजपा गठबंधन और निर्दलीय सहयोगियों को जोड़कर 330 और सपा-बसपा-कांग्रेस मिलाकर 72 मत हो रहे हैं। हांलाकि मतदान की नौबत आने की गुंजायश नहीं है। निर्विरोध चुनाव की ही स्थिति बन रही है।

दलित और पिछड़ों का बनेगा समन्वय

भाजपा दलित और पिछड़ों का समन्वय बनाएगी। यादव और जाटव समीकरण के समानांतर भाजपा अति पिछड़ी जातियों को महत्व देगी। भाजपा अपने सहयोगी दल अपना दल (एस) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति आशीष सिंह पटेल को मौका दे सकती है। सैनी समाज से जसवंत सैनी व हरपाल सैनी, कोरी समाज से पूर्व डीजीपी बृजलाल, गोरखपुर के पूर्व क्षेत्रीय मंत्री संतराज यादव, संगठन से प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर व सुधीर हलवासिया, प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक व अशोक कटारिया, विद्यासागर सोनकर, सलिल विश्नोई और मीडिया प्रभारी हरिश्चंद्र श्रीवास्तव, प्रदेश मंत्री अमरपाल मौर्य, प्रकाश पाल, धर्मवीर प्रजापति, अंजुला माहौर का नाम भी प्रमुख दावेदारों में है। केंद्र में सक्रिय सुधांशु त्रिवेदी को एमएलसी बनाकर उप्र में मौका दिया जा सकता है।

दो मंत्रियों समेत इस्तीफा देने वालों की प्रबल दावेदारी

प्रदेश सरकार के ग्राम्य विकास मंत्री महेंद्र सिंह और मुस्लिम वक्फ राज्य मंत्री मोहसिन रजा का भी कार्यकाल पांच मई को पूरा हो रहा है। इनका नाम प्रमुखता से चल रहा है। मुख्यमंत्री के लिए विधान परिषद से इस्तीफा देने वाले यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब, सरोजिनी अग्रवाल का भी नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। इस्तीफा देने वाले जयवीर सिंह का भी नाम फिर तेजी से चल पड़ा है।

सरकार और संगठन से तय होंगे उम्मीदवार

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, संगठन महामंत्री सुनील बंसल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सहमति से उम्मीदवारों के नाम तय होंगे। इस पर अंतिम मुहर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की लगेगी।


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