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भड़कीं सपा-बसपाः महापुरुषों के नाम का सियासी हित में दुरुपयोग करती भाजपा

मोदी के मगहर दौरे पर सपा-बसपा ने भाजपा पर वोटों की राजनीति व महापुरुषों के नाम का अपने सियासी हित के लिए दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 28 Jun 2018 08:25 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jun 2018 08:10 AM (IST)
भड़कीं सपा-बसपाः महापुरुषों के नाम का सियासी हित में दुरुपयोग करती भाजपा
भड़कीं सपा-बसपाः महापुरुषों के नाम का सियासी हित में दुरुपयोग करती भाजपा

लखनऊ (जेएनएन)। मगहर यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संत कबीर का गुणगान करने पर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने तीखी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं। दोनों पार्टियों ने भाजपा पर वोटों की राजनीति व महापुरुषों के नाम का अपने सियासी हित के लिए दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।

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  • कबीर के नाम पर घटिया राजनीतिः मायावती 
  • भाजपा कबीर के दर्शन से प्रेरणा लेः अखिलेश

बसपा अध्यक्ष मायावती ने प्रधानमंत्री द्वारा मगहर में संत कबीर अकादमी के शिलान्यास को चुनावी स्वार्थ वाला कदम करार देते हुए कहा कि भाजपा कबीर के नाम पर सस्ती राजनीति कर रही है। यह पूर्वांचल की गरीब व मेहनतकश जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए किया गया है। मायावती ने कहा कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, वैसे-वैसे भाजपा की ओर से जनता का ध्यान मुख्य मुद्दों से हटाने की कोशिश होगी। कबीर की याद में 24 करोड़ रुपये की अकादमी के शिलान्यास का प्रचार प्रसार करने में लगभग उतनी ही रकम खर्च की गई है। यह काम कम और बातें ज्यादा करने जैसा कारनामा है।

बसपा शासन में कबीर की याद वाले काम गिनाए

गुरुवार को जारी बयान में मायावती ने कहा कि बसपा अध्यक्ष अपने मुख्यमंत्रित्व काल में संत कबीरदास की स्मृति में किये गए कार्यों को गिनाना भी नहीं भूलीं। कहा, बसपा सरकार में ही संत कबीर नगर जिला बनाया गया और पूर्वांचल के संपूर्ण विकास के लिए विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर अलग पूर्वांचल राज्य बनाने की मांग की गई थी। यह प्रस्ताव अभी लंबित पड़ा है। केंद्र को जवाब देना चाहिए कि इस पर अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? मायावती ने कहा कि भाजपा को सस्ती राजनीति नहीं करनी चाहिए।

महापुरुषों के इस्तेमाल से संकोच नहीं 

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव प्रेस को जारी बयान में कहा कि भाजपा व संघ नेतृत्व राजनीतिक स्वार्थ के लिए महापुरुषों का इस्तेमाल करने से संकोच नहीं कर रहा है। वर्ष 2019 में केंद्र की सत्ता में वापसी के लिए भाजपा कुछ भी करने के लिए तैयार है। संत कबीर को लेकर भाजपाइयों में कोई श्रद्धाभाव नहीं है। अलबत्ता उनकी नजर कबीर के करोड़ों अनुयायियों के वोटों पर है। उन्होंने कहा कि संत कबीर ने अपने समय की कुरीतियों पर चोट की थी लेकिन भाजपा व संघ हमेशा नफरत व विद्वेष का जहरीला व्यापार करते रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संत कबीर को श्रद्धांजलि देने के नाम पर विपक्ष खासकर समाजवादी दल पर ही निशाना साधते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा जानती है कि सपा बसपा की एकता उनको केंद्र में फिर से नहीं बैठने देगी। बेहतर होता कि कबीरदास के दर्शन से प्रेरणा लेकर भाजपा आत्मशुद्धि करे और नफरत की राजनीति से तौबा कर ले।


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