भाजपा के फ्रंटल संगठनों में नए चेहरों को मिलेगी जिम्मेदारी
प्रकोष्ठ और विभागों का भी गठन नहीं हो सका। अब 2019 के लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत बदले समीकरण के अनुरूप नए चेहरों को कमान सौंपी जाएगी।
लखनऊ (जेएनएन)। डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अब ज्यादा संभावना है कि सभी फ्रंटल संगठनों में भी बदलाव किया जाए। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष घोषित किए गए थे लेकिन, उनकी कमेटी नहीं बन पाई। इतना ही नहीं, प्रकोष्ठ और विभागों का भी गठन नहीं हो सका। अब 2019 के लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत बदले समीकरण के अनुरूप नए चेहरों को कमान सौंपी जाएगी।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए महिला मोर्चा-स्वाती सिंह, पिछड़ा वर्ग मोर्चा-सीतापुर के सांसद राजेश वर्मा, अनुसूचित मोर्चा- मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर, अनुसूचित जनजाति मोर्चा-राबर्ट्सगंज के सांसद छोटेलाल खरवार, अल्पसंख्यक मोर्चा- चांद हैदर और युवा मोर्चा की कमान सुब्रत पाठक को सौंपी गई। अभी तक ज्यादातर अध्यक्ष अपनी कार्यकारिणी भी घोषित नहीं कर सके हैं। चूंकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव था इसलिए मोर्चों का गठन करते समय राष्ट्रीय स्तर पर भी उत्तर प्रदेश को विशेष तरजीह मिली।
तब घोसी के पूर्व सांसद दारा सिंह चौहान को भाजपा पिछड़ा वर्ग और कौशांबी के सांसद विनोद सोनकर को अनुसूचित मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। ज्यादातर सांसदों को ही मौका दिया गया ताकि कहीं पहचान का संकट न हो। अब महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष स्वाती सिंह और पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दारा सिंह चौहान योगी सरकार में मंत्री हैं। मंत्रिमंडल में होने की वजह से इन दोनों का संगठन से हटना तय हैं। उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण हैं तो संभव है कि सुब्रत पाठक को कहीं अन्यत्र समायोजित कर भाजयुमो की कमान किसी नए चेहरे को सौंपी जाए।
सुब्रत पाठक भी कन्नौज लोकसभा में भाजपा के उम्मीदवार थे और बहुत मजबूती से चुनाव लड़े थे। अब चूंकि 2019 के चुनाव की तैयारी शुरू हो रही है इसलिए भी चुनावी समीकरण के हिसाब से संगठन में पदाधिकारियों के चयन की प्रक्रिया शुरू होगी। नए अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने संकेत दे दिया है कि पितृपक्ष समाप्त होने के बाद प्रदेश कार्यकारिणी और फ्रंटल संगठनों का गठन किया जाएगा। अब जो कार्यकारिणी गठित होगी वह सामाजिक और भौगोलिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए बनेगी।
विभाग, प्रकल्प और प्रकोष्ठ के चेहरे तय
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जुलाई माह के आखिरी तीन दिन लखनऊ में थे। तब उन्होंने 19 विभाग, नौ प्रकल्प और 17 प्रकोष्ठ के गठन के लिए एक खास बैठक की थी। तबसे अधिकांश चेहरे तय किए जा चुके हैं लेकिन, उनकी घोषणा नए अध्यक्ष पितृपक्ष के बाद कर सकते हैं। सुशासन तथा केंद्र-राज्य शासकीय कार्यक्रम समन्वय विभाग, नीति विषयक शोध विभाग, मीडिया विभाग, मीडिया संपर्क विभाग, प्रशिक्षण विभाग, राजनैतिक प्रतिपुष्टि और प्रतिक्रिया विभाग, राष्ट्रीय कार्यक्रम एवं बैठक विभाग, डाक्यूमेंटेशन एवं ग्रंथालय विभाग, सहयोग, आपदीय राहत एवं सेवाएं विभाग,
अध्यक्षीय कार्यालय प्रवास एवं कार्यक्रम विभाग, प्रचार-प्रसार निर्माण विभाग, ट्रस्ट समन्वय विभाग, चुनाव प्रबंधन विभाग, चुनाव आयोग संपर्क विभाग, कानूनी और विधिक विषय विभाग, पार्टी पत्रिकाएं तथा प्रकाशन विभाग, आइटी वेबसाइट और सोशल मीडिया प्रबंधन विभाग, विदेश संपर्क विभाग और आजीवन सहयोग निधि विभाग के प्रमुख और उनकी टीम बनाई जानी है। जिला कार्यालय निर्माण प्रकल्प, कार्यालय आधुनिकीकरण प्रकल्प, ग्रंथालय निर्माण प्रकल्प, स्वच्छता अभियान प्रकल्प, बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ प्रकल्प,
नमामि गंगे प्रकल्प, राष्ट्रीय सदस्यता अभियान प्रकल्प, राष्ट्रीय महासंपर्क अभियान प्रकल्प और राष्ट्रीय प्रशिक्षण अभियान प्रकल्प बनेंगे। प्रकोष्ठ में विधि, बुद्धिजीवी, व्यवसायिक, चिकित्सा, आर्थिक, व्यापार, सहकारिता, पूर्व सैनिक, सांस्कृतिक, बुनकर, शिक्षक, मछुआरा, स्थानीय निकाय, पंचायत प्रकोष्ठ, एनजीओ, वरिष्ठ नागरिक और लघु उद्योग प्रकोष्ठ का गठन होगा।