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Birth Anniversary of KanshiRam: BSP के संस्थापक कांशीराम की 87वीं जयंती आज, CM योगी आदित्यनाथ ने किया नमन

Birth Anniversary of KanshiRam पंजाब के रोपड़ जिले में 15 मार्च 1934 को जन्मे विज्ञान स्नातक कांशीराम ने दलित राजनीति की शुरूआत बामसेफ नाम के अपने कर्मचारी संगठन के जरिए की। उन्होंने दलित कामगारों को एक सूत्र में बांधा और निॢववाद रूप से उनके सबसे बड़े नेता रहे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 15 Mar 2021 11:02 AM (IST)Updated: Mon, 15 Mar 2021 11:06 AM (IST)
Birth Anniversary of KanshiRam: BSP के संस्थापक कांशीराम की 87वीं जयंती आज, CM योगी आदित्यनाथ ने किया नमन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर आज कांशीराम को नमन किया

लखनऊ, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक और दलितों के मसीहा कहे जाने वाले कांशीराम की आज यानी 15 मार्च को 87वीं जयंती हैं। दलित राजनीति की बदौलत देश के लोकप्रिय नेताओं में शुमार रहे बहुजन समाज पार्टी संस्थापक कांशीराम की आज जयंती है। उनकी जयंती को देशभर में मनाया जा रहा है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर आज कांशीराम को नमन किया। इसके साथ ही भाजपा के साथ बहुजन समाज पार्टी प्रदेश भर में आज स्वर्गीय कांशीराम की 87वीं जयंती पर बड़े आयोजन कर रही है। बसपा मुखिया मायावती इस आयोजन के लिए बीते तीन दिन से लखनऊ में ही प्रवास कर रही हैं। उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी इस मौके पर बड़े आयोजन कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी स्वर्गीय कांशीराम की 87वीं जयंती पर उनको नमन किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया कि कुशल राजनीतिज्ञ, दलितों, वंचितों एवं शोषितों के ओजस्वी स्वर कांशीराम को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के नेतृत्व में पार्टी बड़े स्तर पर कांशीराम की जयंती मना रही है।

पंजाब के रोपड़ जिले में 15 मार्च, 1934 को जन्मे विज्ञान स्नातक कांशीराम ने दलित राजनीति की शुरूआत बामसेफ नाम के अपने कर्मचारी संगठन के जरिए की। उन्होंने दलित कामगारों को एक सूत्र में बांधा और निॢववाद रूप से उनके सबसे बड़े नेता रहे। पुणे में डिफेंस प्रोडक्शन डिपार्टमेंट में साइंटिफिक असिस्टेंट के तौर पर काम कर चुके कांशीराम ने नौकरी छोड़कर दलित राजनीति का बीड़ा उठाया। दलितों को एकजुट कर उन्हेंं राजनीतिक ताकत बनाने का अभियान 1970 के दशक में शुरू किया। कई वर्षों के कठिन परिश्रम और प्रभावशाली संगठन क्षमता के बूते उन्होंने बसपा को सत्ता के गलियारों तक पहुंचा दिया। बामसेफ के बाद उन्होंने दलित-शोषित मंच डीएस-फोर का गठन 1980 के दशक में किया और 1984 में बहुजन समाज पार्टी बनाकर चुनावी राजनीति में उतरे। 1990 के दशक तक आते-आते बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में निर्णायक भूमिका हासिल कर ली। कांशीराम ने हमेशा खुलकर कहा कि उनकी पार्टी सत्ता की राजनीति करती है और उसे किसी भी तरह से सत्ता में आना चाहिए। यह दलितों के आत्मसम्मान और आत्मबल के लिए जरूरी है।

जुझारू प्रवृति के दिग्गज नेता रहे कांशीराम को सभी दल के नेता बेहद सम्मान देते थे। कांशीराम ने पहला चुनाव इटावा में जीता था। इसमें उनकी मदद समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने की थी। इटावा में 47 प्रत्याशियों को हराकर कांशीराम पहली बार इटावा से लोकसभा में पहुंचे थे। इटावा की अनारक्षित सीट पर 1991 में लोकसभा उपचुनाव में बसपा के प्रत्याशी कांशीराम समेत कुल 48 प्रत्याशी मैदान में थे। यहां पर जीत दर्ज करने वाले कांशीराम को एक लाख 44 हजार 290 मत मिले थे। इनके मुकाबले भाजपा प्रत्याशी लाल सिंह वर्मा को 22 हजार 466 मत कम मिले।


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