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    बिहार चुनाव रिजल्ट का यूपी पर कुछ यूं हुआ असर, कौन-सी पार्टी बदल देगी अपनी रणनीति?

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 09:01 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत से उत्तर प्रदेश में सपा की चिंता बढ़ गई है। अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए प्रयास किया था, पर नतीजे विपरीत रहे। अब सपा को यूपी की रणनीति में बदलाव करना होगा। कांग्रेस के लिए भी गठबंधन बनाए रखना एक चुनौती है। बिहार के नतीजों का असर यूपी की राजनीति पर दिख सकता है।

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    दिलीप शर्मा, लखनऊ। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की ऐतिहासिक जीत से उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा चिंता सपा की बढ़ी है, पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने महागठबंधन की जीत के लिए खूब पसीना बहाया था। एग्जिट पाेल आने के बाद भी वह लगातार तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री का दावा कर रहे थे।

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    अब नतीजों के बाद सपा अपनी यूपी की रणनीति में भी बदलाव कर सकती है, क्योंकि बिहार में महागठबंधन जिन मुद्दों और रणनीति पर ताल ठोक रहा था, साइिकल भी फिलहाल लगभग उसी रास्ते पर है। बिहार में हार के लिए चुनाव आयोग और मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण को जिम्मेदार ठहराना भी सपा वहां के परिणामों के यूपी में होने वाले असर रोकने की एक कोशिश माना जा रहा है।

    उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने वाली सपा को वर्ष 2017 और 2022 में भाजपा के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। हालांकि, वर्ष 2024 के लोकसभा में सपा ने 37 सीटें जीत भाजपा को बड़ा झटका दिया था। अब वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा में जीत के लिए तैयारी में जुटी है। अखिलेश पूरी तरह उत्तर प्रदेश पर ही ध्यान केंद्रित रखना चाहते हैं।

    इसके चलते ही इस बार सपा ने बिहार चुनाव न लड़ने और महागठबंधन को समर्थन देने का निर्णय लिया था। इसी एक वजह यह थी कि बिहार में हार होने पर उसके नतीजों की छाया उप्र में पार्टी की रणनीति पर न पड़े। समर्थन के माध्यम से सपा उप्र में भी अपने मतदाताओं को भाजपा के विरोध के लिए खुले से अन्य दलों के समर्थन का भी संदेश देना चाहती थी।

    इसी रणनीति के तहत सपा प्रमुख ने बिहार चुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशियों के समर्थन में 22 जनसभाएं की थीं, परंतु शुक्रवार को घोषित हुए नतीजों ने सपा की उम्मीदों पर तुषारापात कर दिया है। वहां भाजपा की रणनीति जिस तरह कामयाब रही, उससे सपा की यूपी की रणनीति भी प्रभावित होगी।

    अखिलेश पहले ही पीडीए की पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक वाली परिभाषा को बदलकर सभी वर्गों को साधने की कोशिश शुरू कर चुके हैं, अब बिहार परिणाम के बाद इसी दिशा में और तेजी से काम किया जाएगा। वहीं बिहार के परिणाम से यहां के माहौल पर होने वाले असर को रोकने के लिए हार के लिए आयोग पर हमले की रणनीति पर काम शुरू कर दिया गया है। शुक्रवार को नतीजे आने के बाद सपा प्रमुख ने एक्स पर पोस्ट कर इसकी शुरुआत भी कर दी है।

    कांग्रेस की भी बढ़ी चुनौती
    बिहार के नतीजों का असर कांग्रेस की यूपी की रणनीति पर भी पड़ने जा रहा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय सहित कई नेताओं को बिहार चुनाव में जिम्मेदारी दी गई थी, परंतु वे कोई कमाल नहीं दिखा सके। ऐसे में कई नेताओं का कद घटने की भी आशंका जताई जा रही है।

    वहीं उप्र के विधानसभा चुनाव के लिए अकेले लड़ने की संभावना तलाशने की कोशिश को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के सामने सपा के साथ गठबंधन बनाए रखना और गठबंधन पर जनता विश्वास जगाना भी एक चुनौती बनेगा। वहीं गठबंधन में अधिक हिस्सेदारी पाने की उसकी ाकोशिश भी प्रभावित होगी।