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UP में कांट्रेक्ट शिक्षिका का फर्जीवाड़ा: 13 महीनों तक 25 जिलों से ली सैलरी, एक करोड़ से अधिक का घपला

Big Fraud ByTeacher कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में साइंस की टीचर ने बड़ा गुल खिलाया है। एक साथ प्रदेश के के 25 जिलों में नौकरी हथियाने के साथ हर जगह से सैलरी भी ली।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 12:29 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 03:29 PM (IST)
UP में कांट्रेक्ट शिक्षिका का फर्जीवाड़ा: 13 महीनों तक 25 जिलों से ली सैलरी, एक करोड़ से अधिक का घपला
UP में कांट्रेक्ट शिक्षिका का फर्जीवाड़ा: 13 महीनों तक 25 जिलों से ली सैलरी, एक करोड़ से अधिक का घपला

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण में लॉकडाउन के दौरान जहां लोगों के पास पैसों की भयंकर कमी होने के साथ नौकरी जाने का भी भय है, वहीं एक शिक्षिका ने इसी दौरान एक-दो नहीं 25 जिलों में एक साथ काम करके एक करोड़ से भी अधिक रुपया कमा लिया। अब यह फर्जीवाड़ा खुलने के बाद शिक्षिका से रकम वसूली की तैयारी के साथ केस भी दर्ज किया गया है।

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लॉकडाउन में प्रदेश के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में साइंस की टीचर ने बड़ा गुल खिलाया है। एक साथ प्रदेश के के 25 जिलों में नौकरी हथियाने के साथ हर जगह से सैलरी भी ली। अनामिका शुक्ला नाम की इस साइंस टीचर ने एक साथ 25 जिलों के स्कूलों में काम करके एक करोड़ से अधिक रुपया तनख्वाह के रूप में वसूला है। अब शिक्षिका के खिलाफ केस दर्ज करके मामले की जांच की जा रही है। अनामिका शुक्ला की प्रयागराज और अंबेडकरनगर के साथ सहारनपुर, बागपत, अलीगढ़ जैसे जिलों के कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में तैनाती मिली है। टीचरों की नियुक्ति कॉन्ट्रेक्ट पर होती है और उन्हेंं हर महीने 30 हजार रुपये की तनख्वाह मिलती है।

उत्तर प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में कार्यरत अनामिका शुक्ला ने एक वर्ष में वेतन के रूप में लगभग एक करोड़ रुपये कमाये। इस दौरान वह एक साथ 25 जिलों में काम करती रहीं और किसी को भनक तक नहीं लगी। विभाग ने जब शिक्षकों का डेटाबेस बनाया तो मामला सामने आया। अब इनके खिलाफ जांच का आदेश दिया गया है। बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार, अब शिक्षकों का डिजिटल डेटाबेस बनाया गया तो पता चला कि अनामिका शुक्ला को प्रदेश के जिलों में 25 विभिन्न स्कूलों में नियोजित किया गया था। हर जगह से उनके खाते में सैलरी भी आ रही थी। एक बार रिकॉर्ड अपलोड होने के बाद, यह पाया गया कि अनामिका शुक्ला, एक ही व्यक्तिगत विवरण के साथ 25 स्कूलों में सूचीबद्ध थीं।

इस दौरान अनामिका शुक्ला, पूर्णकालिक शिक्षिका के रूप में 25 स्कूलों में कार्यरत थीं। वह अमेठी, अंबेडकरनगर, रायबरेली, प्रयागराज, अलीगढ़ और अन्य जिलों में एक शिक्षिका के रूप में पंजीकृत थीं। एक डिजिटल डेटाबेस के बावजूद, वह इस वर्ष फरवरी तक 13 महीने के लिए धोखाधड़ी से विभाग से लगभग एक करोड़ रुपये का वेतन निकालने में सफल रही।

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अब उसके वेतन को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है, जबकि शिक्षा विभाग यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या विभिन्न स्कूलों के वेतन हस्तांतरण के लिए उसी बैंक खाते का उपयोग किया गया था। अनामिका शुक्ला, मैनपुरी जिले की मूल निवासी हैं। विभाग ने आरोपी को नोटिस भी भेजा है लेकिन उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ। सतीश द्विवेदी ने कहा किविभाग ने जांच का आदेश दिया है और आरोप सत्य होने पर शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हमारी सरकार के आने के बाद से डिजिटल डेटाबेस पारदर्शीता के लिए बनाया जा रहा है। इस मामले अगर विभाग के अधिकारियों की कोई संलिप्तता है तो कार्रवाई की जाएगी। अनुबंध के आधार पर केजीबीवी स्कूलों में भी नियुक्तियां की जाती हैं। विभाग इस शिक्षक के बारे में तथ्यों का पता लगा रहा है।

वास्तविक समय पर निगरानी के बावजूद फर्जीवाड़ा 

स्कूल शिक्षा के महानिदेशक, विजय किरण आनंद ने कहा कि इस शिक्षक के बारे में तथ्यों का पता लगाने के लिए एक जांच चल रही है, शिक्षिका संपर्क में नहीं है। उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि शिक्षिका अनामिका शुक्ला प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति की वास्तविक समय पर निगरानी के बावजूद ऐसा कर पाईं। मार्च में इस शिक्षिका के बारे में शिकायत प्राप्त करने वाले एक अधिकारी ने कहा कि एक शिक्षक अपनी उपस्थिति को कई जगह कैसे चिह्न्ति कर सकता है, जबकि उन्हें प्रेरणा पोर्टल पर ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करनी होती है। सभी स्कूलों में रिकॉर्ड के अनुसार, शुक्ला एक साल से अधिक समय तक इन स्कूलों के रोल पर थीं।

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) कमजोर वर्गों की लड़कियों के लिए चलाया जाने वाला एक आवासीय विद्यालय है, जहां शिक्षकों को अनुबंध पर नियुक्त किया जाता है। उन्हें प्रति माह लगभग 30,000 रुपये का भुगतान किया जाता है। जिले के प्रत्येक ब्लॉक में कस्तूरबा गांधी स्कूल है। मैनपुरी की रहने वाली अनामिका शुक्ला को आखिरी बार फरवरी तक रायबरेली के केजीबीवी में काम करते हुए पाया गया था, जब उनका फजीर्वाड़ा सामने आया था।

रायबरेली में बेसिक शिक्षा अधिकारी आनंद प्रकाश ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय ने अनामिका शुक्ला नामक एक शिक्षिका के बारे में जांच करने के लिए छह जिलों को एक पत्र जारी किया था। उन्होंने कहा, हालांकि रायबरेली का नाम सूची में नहीं था, हमने क्रॉस चेक किया और महिला को जब हमारे केजीबीवी में भी काम करते हुए पाया तो उन्हें नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने वापस रिपोर्ट नहीं की और उनका वेतन तुरंत रोक दिया गया। उन्होंने आगे कहा कि लॉकडाउन के कारण जांच आगे नहीं बढ़ सकी लेकिन अब रिकॉर्ड का सत्यापन किया जाएगा। यह पता लगाना अभी बाकी है कि शुक्ला अलग-अलग स्कूलों के वेतन के लिए एक ही बैंक खाते का इस्तेमाल कर रही थीं या नहीं।


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