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Environment Conservation: लखनऊवासियों को केरल व इंदौर माडल सिखा रहा पर्यावरण संरक्षण, कूड़ा प्रबंधन को मिली दिशा

भूजल बचाने से लेकर कूड़ा प्रबंधन और निर्माण की नई तकनीक को देखना है तो इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में नया शहरी भारत कांफ्रेंस एवं एक्सपो में आना होगा। आयोजन का गुरुवार को अंतिम दिन है और हर कोई इस आयोजन में शामिल हो सकता है।

By Rafiya NazEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 02:14 PM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 02:14 PM (IST)
Environment Conservation: लखनऊवासियों को केरल व इंदौर माडल सिखा रहा पर्यावरण संरक्षण, कूड़ा प्रबंधन को मिली दिशा
शहरी भारत कांफ्रेंस एवं एक्सपो में सिखाई जा रही पर्यावरण संरक्षण की तकनीक।

लखनऊ, अजय श्रीवास्तव। सस्ते और टिकाऊ दरवाजे, पार्क और पार्किंग में बनाई गई फर्श से भूगर्भ में जा रहा पानी और कभी अनुपयोगी मानी जा रही सामग्रियों से तैयार हो रही ब्रिक। भूजल बचाने से लेकर कूड़ा प्रबंधन और निर्माण की नई तकनीक को देखना है तो इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में नया शहरी भारत कांफ्रेंस एवं एक्सपो में आना होगा। आयोजन का गुरुवार को अंतिम दिन है और हर कोई इस आयोजन में शामिल हो सकता है। यहां हर स्टाल पर हुनर ही हुनर नजर आ रहा है।

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केरल कुओं से भर रहा धरती की गगरी: भरपूर पानी होने के बाद भी केरल को भविष्य की चिंता सताने लगी है। बारिश का पानी समुद्र में न चला जाए, इसलिए वहां घर-घर में कुएं को जल संचयन का केंद्र बनाया गया है। बारिश के पानी को बचाने के लिए यहां के वैज्ञानिकों ने कम खर्चीली योजना को अपनाया है। बारिश के पानी को बचाने के लिए इंटरलाकिंग टाइल्स लगाने से पहले बालू और मौरंग की गहरी लेेयर बनाई जाती है। इस लेयर के नीचे एक मोटी पालीथिन बिछाई जाती है। इसे ऐसे बिछाया जाता है कि बारिश का पानी छनकर पालीथीन में ठहर जाए। इस पालीथिन का लेबल इस तरह से रखा जाता है, जिससे पानी का बहाव किसी न किसी कुएं में हो जाए। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में नया शहरी भारत कांफ्रेंस एवं एक्सपो में केरल से आए विशेषज्ञों ने भूजल बचाने की विधि बताई। कोच्चि के मॉडल का भी प्रदर्शन हो रहा है। विशेषज्ञ राहुल और मधावन ने बताया कि केरल में बारिश तो पर्याप्त होती है, लेकिन भूमि में पानी नहीं पहुंच पा रहा था। अब बारिश का पानी कुओं में पहुंचाने की सरल योजना बनी है।

नारियल के खाली खोल से बना दिए गमले: नारियल का पानी पीने के बाद जिस खोल को हम फेंक देते हैं और सड़क पर एक नया कचरा पैदा कर देते हैं। उसी खोल का उपयोग नगर पालिक निगम कर रहा है। फोर आर कचरा प्रबंधन के सिद्धांत पर नारियल के खोल के गमले बनाए जा रहे हैं। अब तक एक हजार नारियल के खोल को गमला बनाया गया है और नर्सरी में अब उसमें पौधे लगाए गए हैं।

इंदौर नगर निगम 18 तरह के कूड़े को कर रहा अलग: सड़क पर कई तरह का कूड़ा एक साथ आता है और उसका उपयोग तभी हो सकता है, जब उसको अलग-अलग किया जा सके। इंदौर में लगे कूड़ा प्रबंधन प्लांट में करीब तीन सौ मीट्रिक टन कूड़े का उपयोग हो रहा है। इस प्लांट में गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग करने की मशीन लगी है। 30 करोड़ की लागत का यह प्लांट कूड़ा प्रबंधन में कारगर साबित हो रहा है।


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