चमकते फलों से सेहत हो रही बदरंग, इन बातों का रखें ध्यान Lucknow News
फलों को अधिक समय तक सुरक्षित रखने और सडऩ से बचाने के लिए वैक्स व केमिकल की परतें चढ़ाई जाती हैं।
लखनऊ [रूमा सिन्हा]। केंद्रीय मंत्री रामबिलास पासवान के सलाद के लिए आए सेब पर वैक्स (मोम) लगा मिला तो फलों पर हो रही वैक्स कोटिंग एक बार फिर चर्चा में आ गई। वैक्स कोटिंग को सेहत के लिए नुकसानदायक बताते हुए आननफानन में दुकानदार पर कार्रवाई भी की गई। हालांकि, लखनऊ में इस तरह के फल धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं।
फलों को अधिक समय तक सुरक्षित रखने और सडऩ से बचाने के लिए धड़ल्ले से वैक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। सेब ही नहीं, नींबू, अंगूर, केला, खीरा, टमाटर, तरबूज, संतरा जैसे फलों पर वैक्स व केमिकल की परतें चढ़ाई जाती हैं। डॉ. एसके गुप्ता बताते हैं कि दरअसल फल, दाल, मधुमक्खी के छत्ते और सब्जियों से प्राप्त प्राकृतिक मोम से सेहत को नुकसान नहीं होता, लेकिन इनके महंगे होने के कारण फलों और सब्जियों पर घटिया गुणवत्ता के केमिकल युक्त वैक्स और घातक ऑयल का स्प्रे किया जा रहा है। इसका असर सीधे किडनी व लिवर पर पड़ता है।
एनबीआरआइ के डॉ. प्रबोध त्रिवेदी बताते हैं कि यूएस खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अनुसार सेब पर वनस्पति आधारित वैक्स की अनुमति है, लेकिन यह नहीं पता चलता कि असल में किस तरह के वैक्स का प्रयोग किया गया है। ऐसे में अच्छा होगा कि उसे गर्म पानी में कुछ देर डालकर फिर धोकर प्रयोग करें या छील कर खाएं। भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मुकुल दास बताते हैं कि इसका इस्तेमाल कागज और चमड़ा उद्योग में किया जाता है। पूर्व में किए गए सर्वे में पाया गया था कि रंग एलर्जी व अस्थमा के साथ ही किडनी और लिवर को भी नुकसान पहुंचाता है।
इन बातों का रखें ध्यान
- हरी सब्जी खरीदते समय यह अवश्य देख लें कि कहीं उसमें रंग तो नहीं है। डंठल आदि के पास रंग दिखाई पड़ेगा।
- फल या सब्जी को कई बार अच्छी तरह धो लें। सब्जियां छील कर ही इस्तेमाल करें या अच्छी साफ कर लें।