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बेकल उत्साही स्मृति शेष: एक गीत जा रहा किसी और गांव में

बेकल उत्साही का पहला गुनाह बलरामपुर निवासी, दूसरा किसी अदबी गिरोह दूर, तीसरा आम जबान में शेर और चौथा लहजे में दरवेशों के नक्शे कदम पर चलना रहा।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 03 Dec 2016 08:01 PM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2016 10:35 PM (IST)
बेकल उत्साही स्मृति शेष: एक गीत जा रहा किसी और गांव में

लखनऊ (जेएनएन)। हजरत बेकल उत्साही का पहला गुनाह यह है कि वह उत्तर प्रदेश के एक बहुत ही छोटे से जिले बलरामपुर के रहने वाले थे। दूसरा गुनाह यह कि वह किसी अदबी गिरोह या तहरीक में शामिल नहीं थे। तीसरा गुनाह यह कि वह एक ऐसी आम जबान में शेर कहते थे, जिसे अदब के कुछ मगरूर हजरात देहाती बोली के लकब से नवाजते हैं। चौथा गुनाह यह कि वह अल्फाज, मौजुआत और लहजे में दरवेशों और संतों के नक्शे कदम पर चलना चाहते थे। बेकल उत्साही पिछले साठ बरसों में जिस बुलंदी पर रहे, यही उनके श्रेष्ठ होने की दलील है। उनका पूरबी लहजा तरन्नुम का सलोनापन, अवाम की जबान में गुफ्तगू़ करते हुए अवाम तक पहुंचने का हुनर, उनकी सादा मिजाजी, उनका शरीफाना लिबास, शहद और शबनम से धुली जबान, लफ्जों से फूल खिलाने का शौक ही उन्हें अपने तमाम हमअसरों (समकालीन) से अलग करता है।

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शायरी के साथ कांग्रेसी मंच के जरिए दिखती राजनीति में सक्रियता

मुशायरों में गीत की बिदअत (नया रिवाज) देने में बेकल उत्साही का बहुत बड़ा योगदान था, जिसका नतीजा यह है कि अब मुशायरे में अगर गीत शामिल न हों तो मुशायरा बगैर सिंदूर की सुहागिन मालूम होता है। बेकल साहब अपने गीतों से शहर में बसे हुए कस्बों और देहातों के रहने वालों को उनका गांव, घर, आंगन, खेत और पगडंडिया याद दिलाते हैं। उन्होंने बहुत ही खू़बसूरत जिंदगी गुजारी। हिंदुस्तान से बाहर जहां-जहां भी वह गए, वहां उन्होंने हिंदुस्तान के साथ-साथ हिंदी और उर्दू जबान की बाविकार (गरिमापूर्ण) नुमाइंदगी की।

प्रख्यात शायर पद्ममश्री बेकल उत्साही का इंतकाल

निधन पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री दुखी

राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, कांग्र्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आजाद और प्रदेश राज बब्बर ने शायर पद्मश्री व राज्यसभा के पूर्व सदस्य बेकल उत्साही के निधन पर दुख व्यक्त किया है। राज्यपाल ने अपने शोक संदेश में कहा है कि बेकल उत्साही ने हिंदी और उर्दू का प्रयोग बड़े कलात्मक ढंग से कर शायरी को नया आयाम दिया है। वह अपनी सरलता एवं व्यवहार कुशलता के लिए भी जाने जाते थे। राज्यपाल ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए दुखी परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि बेकल उत्साही एक आला दर्जे के शायर और कवि थे। उन्होंने अपनी रचनाओं से साहित्य को समृद्ध किया। उनकेयोगदान को देखते हुए प्रदेश सरकार ने उन्हें यश भारती पुरस्कार से सम्मानित किया था। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए उनके परिजनों को इस असहनीय दुख को सहन करने की शक्ति देने की ईश्वर प्रार्थना भी की है। सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अपने शोक संदेश में कहा कि बेकल उत्साही की शायरी समाज को जोडऩे का कार्य करती रही।


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