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लोकसभा सदस्यता जाने पर देश में आंधी बन गई थीं इंदिरा गांधी, क्या राहुल को भी होगा फायदा?

जब इंदिरा गांधी की सदस्यता गई थी तो अन्ततोगत्वा कांग्रेस को इसका फायदा मिला था ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या कांग्रेस की मौजूदा टीम इस फैसले को राहुल के पक्ष में ला पाएगी क्या राहुल गांधी भी इंदिरा की तरह विरोधियों के खिलाफ आंधी बन पाएंगे।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaPublished: Fri, 24 Mar 2023 05:02 PM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2023 05:02 PM (IST)
लोकसभा सदस्यता जाने पर देश में आंधी बन गई थीं इंदिरा गांधी, क्या राहुल को भी होगा फायदा?
राहुल गांधी से पहले इंदिरा गांधी की भी जा चुकी है लोकसभा सदस्यता। जागरण

 जागरण ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली: 2019 के मानहानि मामले में गुजरात की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी। इस सियासी घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारे की चहलकदमी को बढ़ा दिया। इतिहास में ऐसी घटनाओं को और उसके आफ्टर इफेक्ट्स को याद किया जा रहा है।

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जब इंदिरा गांधी की सदस्यता गई थी तो अन्ततोगत्वा कांग्रेस को इसका फायदा मिला था, ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या कांग्रेस की मौजूदा टीम इस फैसले को राहुल के पक्ष में ला पाएगी, क्या राहुल गांधी भी इंदिरा की तरह विरोधियों के खिलाफ आंधी बन पाएंगे।

यह घटना इमरजेंसी से पहले की है, 1971 में लोकसभा चुनावों के दौरान इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ रही थीं, जहां से उनका सामना जननेता कहे जाने वाले राजनारायण से था। राजनारायण अपनी जीत को लेकर काफी हद तक आश्वस्त थे। यहां तक कि उन्होंने परिणामों के ऐलान से पहले ही जीत की रैली तक निकाल दी थी, लेकिन रिजल्ट उनके अनुमान के उलट आए। इंदिरा गांधी ने राजनारायण को एक लाख से भी ज्यादा वोटों से हरा दिया।

इस हार को राजनारायण ने खारिज कर दिया और वह इंसाफ के लिए कानून का दरवाजा खटखटाने पहुंचे। इलाहाबाद हाई कोर्ट में उन्होंने इंदिरा पर चुनाव में धांधली का आरोप लगाया। उनका दावा था कि गांधी परिवार ने चुनावों के दौरान सरकारी मशीनरी का जमकर दुरुपयोग किया है। हालांकि कोर्ट सिर्फ उनकी दो शिकायतों पर सुनवाई के लिए तैयार हुई, बाकी सभी को खारिज कर दिया गया।

जिन आरोपों को कोर्ट ने तरजीह दी थी, उनमें से पहला था, सरकार की मदद से स्टेज और लाउड स्पीकर लगाना और दूसरा था राजपत्रित अधिकारी को चुनाव का एजेंट बनाना। 12 जून 1975 को कोर्ट ने इंदिरा गांधी के चुनाव को रद्द कर दिया था, साथ ही 6 साल का प्रतिबंध भी लगाया था। इस पर पूर्व प्रधानमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, उन्हें वहां से राहत मिली लेकिन पूरी तरह से नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे लगाते हुए इंदिरा गांधी को PM पद पर बने रहने की अनुमति दी थी लेकिन उन्हें संसद में मतदान करने से रोक दिया था, हालांकि उन्हें संसद में जाने की अनुमति थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश 24 जून को दिया था जिसके बाद 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लगा दी गई थी। 1977 में जब आपातकाल हटाकर फिर चुनाव करवाया गया तो जनता ने इंदिरा गांधी को सत्ता से दूर कर दिया, वह बुरी तरह से हार गई थीं।

इसके बाद इंदिरा के लिए देश भर में सहानभूति की लहर ने उफान मारा, संसद में आवाज उठाई जाने लगी कि इंदिरा गांधी के साथ गलत हुआ है। एक महीने के बाद लोकसभा में फिर से एक प्रस्ताव लाया गया और इंदिरा गांधी की सदस्यता को बहाल कर दिया गया।

साल 1978 में कर्नाटक की चिकमगलूर सीट पर इंदिरा गांधी ने उपचुनाव लड़ा, जहां उन्हें 60 हजार से ज्यादा वोटों से जीत मिली। इस जीत ने कांग्रेस की अंतर्कलह का बाहर ला दिया लेकिन इंदिरा सबसे निपटती चली गईं। तीन सालों के बाद सरकार गिर गई। 1980 में देश में मध्यावधि चुनाव कराए गए। जिसमें जनता ने इंदिरा गांधी को भरपूर समर्थन दिया और वह प्रचंड बहुमत हासिल करके लोकसभा में पहुंची और प्रधानमंत्री भी बनीं।


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