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हेपेटाइटिस के संक्रमण से ऐसे रहें सतर्क, यहां जानिए कैसे रखें खुद का ख्‍याल

लखनऊ के बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीष भटनागर ने बताया कि बेहद खतरनाक संक्रमण होता है हेपेटाइटिस का और असावधानी में कोई भी हो सकता है इससे संक्रमित। इसलिए जागरूक रहें और समय पर कराएं टीकाकरण..

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 09 Mar 2021 12:41 PM (IST)Updated: Tue, 09 Mar 2021 12:57 PM (IST)
हेपेटाइटिस के संक्रमण से ऐसे रहें सतर्क, यहां जानिए कैसे रखें खुद का ख्‍याल
हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी की तुलना में 10 गुना और एचआईवी से 50-100 गुना ज्यादा संक्रामक है।

लखनऊ, जेएनएन। देश की प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है हेपेटाइटिस। दुनियाभर में पांच करोड़ से ज्यादा बच्चे हेपेटाइटिस से पीड़ित हैं। हेपेटाइटिस लिवर में होने वाला एक प्रकार का संक्रमण है, जो हेपेटाइटिस वायरस के कारण होता है। हेपेटाइटिस पांच प्रकार का होता है- ए, बी, सी, डी और ई। इनमें बी और सी सबसे खतरनाक होते हैं। इन्हें क्रॉनिक हेपेटाइटिस माना जाता है। वहीं ए और ई ज्यादा खतरनाक नहीं होते और इनका उपचार हो जाता है। हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी की तुलना में 10 गुना और एचआईवी से 50-100 गुना ज्यादा संक्रामक है।

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हेपेटाइटिस-बी वायरस डिप में सात दिनों तक जीवित रह सकता है और संक्रमण पैदा करने में सक्षम रहता है। इसीलिए हेपेटाइटिस-बी वायरस को एचआईवी वायरस से ज्यादा संक्रामक माना जाता है। हेपेटाइटिस-बी व सी के मरीजों को लिवर सिरोसिस होने की आशंका रहती है। इसके मरीजों में लिवर सिकुड़कर काम करना बंद कर देता है। कई बार लिवर में पानी भर जाता है और खून की उल्टियां भी होने लगती हैं। कुछ मरीजों के शरीर में सूजन आ जाती है। ऐसे में मरीज को लिवर कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है।

संक्रमण: हेपेटाइटिस-बी सिरिंज या सर्जरी के उपकरणों का बिना स्ट्रलाइजेशन इस्तेमाल करना, इंजेक्शन से किसी प्रकार का नशा करना, गलत तरीके से खून देना या चढ़वाना और हेपेटाइटिस-ए दूषित खानपान से फैलता है। बच्चों में मुख्य रूप से हेपेटाइटिस-बी और सी का संचरण मां से होता है।

लिवर का रखें ख्याल

  • तैलीय भोज्य पदार्थों से दूरी बनाएं
  • योग, व्यायाम और टहलने की आदत डालें
  • शराब, तंबाकू और धूमपान की लत से तौबा करें
  • पौष्टिक और सुपाच्य आहार लें, वजन नियंत्रित रखें

हेपेटाइटिस-बी के टीकों की तीन खुराक के वैश्विक स्तर पर प्रसार के फलस्वरूप इसके मामलों में कमी आई है। आज दुनिया के 84 फीसद देशों में हेपेटाइटिस-बी के टीके लगवाए जाते हैं। हालांकि नवजात को दी जाने वाली प्रारंभिक खुराक के मामले में यह आंकड़ा अभी सिर्फ 39 फीसद है।

जांच: इसके लिए लिवर फंक्शन टेस्ट, एंटीजन और एंटीबॉडीज टेस्ट कराए जाते हैं ताकि पता चल सके कि कौन सा वायरस है और वह कितना सक्रिय है।

टीकाकरण: हेपेटाइटिस से बचाव के लिए तीन टीके लगते हैं। पहले टीके के बाद अगला टीका 30वें और फिर 180वें दिन लगता है। हार्ट व बीपी के मरीज और गर्भवती महिलाएं भी ये टीके लगवा सकती हैं। शिशु के जन्म के समय ही यह टीका लग जाना चाहिए।

अब लगवा लें टीका: हर बीमारी के टीके की डोज सुनिश्चित होती है। बीते दिनों लॉकडाउन के चलते बच्चों को टीका नहीं लगवा पाए तो कोई बात नहीं। अपने चिकित्सक से संपर्क करके अब जो जरूरी टीके हों, उनको अवश्य लगवा लें।


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