गाढ़ी कमाई पर फिशिंग आैर साइबर अटैक, अनजान ईमेल व लिंक खोलने से पहले रहें सतर्क
साइबर क्राइम से बचने के लिए अनजान इमेल लिंक और कॉल को करें नजरअंदाज।
लखनऊ, [ज्ञान बिहारी मिश्र]। साइबर अपराधी आर्थिक लाभ के लिए अलग-अलग तकनीक अपना रहे हैं। वर्तमान में कॉल व ईमेल स्पूफिंग तथा फिशिंग अटैक के जरिये लोगों को साइबर क्रिमिनल आसानी से अपना शिकार बना रहे हैं। वहीं, पुलिस इन अपराधियों का नेटवर्क ध्वस्त करने में विफल साबित हो रही है। ऐसे में साइबर विशेषज्ञ ठगी से बचने के लिए किसी भी अज्ञात ईमेल अथवा लिंक को खोलने से पहले सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं।
ऐसे करते हैं कॉल स्पूफिंग
जालसाज किसी भी व्यक्ति के मोबाइल नंबर से कहीं भी फोन कर सकते हैं। राजधानी में कॉल स्पूफिंग की शिकायत पहले दर्ज भी की जा चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ठग किसी भी व्यक्ति का फोन नंबर पोर्ट कराकर हासिल कर लेते हैं। इसके बाद उस व्यक्ति से संबंधित लोगों को फोन या मैसेज कर रुपये भेजने की बात कहते हैं। संबंधित व्यक्ति झांसे में आकर रुपये स्थानांतरित कर देता है। जालसाज स्पूफिंग के लिए कुछ ऑनलाइन एप्लीकेशन का भी इस्तेमाल करते हैं।
घर बैठे ईमेल स्पूफिंग से हड़प रहे लाखों
नाइजीरिया के युवक के पकड़े जाने के बाद पुलिस इस गिरोह की जड़ें खंगाल रही है। माना जा रहा है कि स्पूफिंग का पूरा गिरोह नाइजीरियन युवक संचालित कर रहे हैं। आरोपित दिल्ली में बैठकर स्थानीय लोगों को झांसे में लेते हैं और उनके नाम से खाते खुलवाकर उनमें रुपये स्थानांतरित करते हैं। आरोपित किसी विभाग की ईमेल आइडी या वेबसाइट से एकदम मिलती-जुलती आइडी बनाकर संबंधित लोगों को ईमेल करते हैं और फिर डेटा चोरी कर लाखों रुपये पार कर देते हैं।
जानिए क्या है फिशिंग
फिशिंग एक आपराधिक कृत्य है। इसके माध्यम से हैकर किसी भी व्यक्ति अथवा संस्थान की गुप्त जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। कंप्यूटर से पासवर्ड चुराना हो या फिर क्रेडिट कार्ड का नंबर। ठग बैंकों में भी सेंध लगाकर खातों की जानकारी चुराने की कोशिश करते हैं। साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक जो भी हैकर फिशिंग का इस्तेमाल करते हैं, वे अपनी फेक आइडी व प्रोफाइल बनाते हैं। ठग किसी नामी संस्थान की फर्जी वेबसाइट बनाकर भी लोगों को झांसे में लेकर उनसे जानकारी हासिल कर लेते हैं।