25 साल सात महीने बरियाम सिंह सेंट्रल जेल से रिहा
टाडा के तहत 25 साल से सजा काट रहे सिख कैदी बरियाम सिंह को सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। लंबे समय से पंजाब सरकार बरेली सेंट्रल जेल में बंद इस कैदी की रिहाई की मांग कर रही थी। अब बरियाम सिंह को रिहा किया गया है।
लखनऊ। टाडा के तहत 25 साल से सजा काट रहे सिख कैदी बरियाम सिंह को सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। लंबे समय से पंजाब सरकार बरेली सेंट्रल जेल में बंद इस कैदी की रिहाई की मांग कर रही थी। अब बरियाम सिंह को रिहा किया गया है। सहारनपुर में जन्मे बरियाम सिंह उन 13 सिख कैदियों में से एक हैं, जिनकी रिहाई की मांग पंजाब सरकार काफी समय से कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार भी बरियाम सिंह की रिहाई की सिफारिश कर चुकी थी। कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया ने बरेली के सेंट्रल जेल पहुंचकर बरियाम सिंह से मुलाकात करके पूरी दास्तान सुनी थी। गृह मंत्रालय ने भी 12 अक्टूबर को सिख कैदी के अच्छे बर्ताव को देखते हुए रिहाई की इजाजत दी थी। गृह मंत्रालय के फरमान के बाद 17 दिसंबर को बरियाम सिंह को पेरोल पर रिहा किया गया था। बरियाम की रिहाई हुई तो पच्चीस साल अलग रहने वाले परिवार की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। शाहजहांपुर के गांव बरीबरा निवासी बरियाम सिंह पुत्र आत्मा सिंह को 1990 में पुलिस ने टाडा एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसके बाद शाहजहांपुर में बरियाम सिंह की साढ़े चार एकड़ जमीन गिरवी रख दी गई थी। इतना ही नहीं बरियाम सिंह की पत्नी सुरेंद्र कौर गुरुद्वारे में सेवा करने लगी। उस समय बरियाम सिंह का बड़ा पुत्र जगदीश सिंह छह वर्ष का था और छोटा बेटा तीन वर्ष का। बरियाम सिंह के दोनों बेटे अब जवान हो चुके हैं। बड़ा बेटा जगदीश सिंह पीलीभीत के बीसलपुर तहसील के खनंका गुरुद्वारा में सेवादार बन गया और छोटा बेटा जसविंदर सिंह पंजाब प्रांत के जालंधर स्थित गुरुद्वारा में सेवादार है। मां छोटे बेटे के साथ गुरुद्वारा में ही सेवा करती है और कभी कभार अपने गांव आती है।
कर रहे थे खालिस्तान की मांग
देश से अलग खालिस्तान की मांग करने वालों में बरियाम सिंह का भी नाम था। 90 के दशक में बरियाम सिंह को टाडा एक्ट में जेल में डाल दिया गया था। जेल जाने के पांच साल बाद बरियाम सिंह को टाडा अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। जेलर सेंट्रल जेल केके सिंह ने बताया कि निर्देश के अनुसार बरियाम सिंह को रिहा कर दिया गया है। उन्हें उनके परिवार के सुपुर्द किया है।