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पर्सनल लॉ बोर्ड के निकाहनामा की समीक्षा करेंगे बरेलवी उलमा

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मोहम्मद सुलेमान का कहना है मस्जिदों के पेशइमाम को पत्र लिखकर हर जुमा की नमाज के पूर्व लोगों को शरई जानकारी देंगे।

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 24 May 2017 04:12 PM (IST)Updated: Wed, 24 May 2017 04:12 PM (IST)
पर्सनल लॉ बोर्ड के निकाहनामा की समीक्षा करेंगे बरेलवी उलमा
पर्सनल लॉ बोर्ड के निकाहनामा की समीक्षा करेंगे बरेलवी उलमा

कानपुर (जेएनएन)। देश भर में तीन तलाक पर चल रही बहस को रोकने के लिए आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मॉडल निकाहनामा को जारी करने का फैसला लिया है। मगर, इस मॉडल निकाहनामा के शरई पहलुओं की समीक्षा करने के लिए बरेलवी उलमा बुधवार को मदरसा अशरफुल मदारिस में जुटेंगे।
आल इंडिया गरीब नवाज कौंसिल के अध्यक्ष एवं गद्दियाना ईदगाह के इमाम मौलाना हाशिम अशरफी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जो एडवाइजरी जारी की है उससे शरई टकराव तो नहीं हो रहा है, इस पर बरेलवी उलमा गौर करेंगे। बोर्ड का दिशा निर्देश जारी होने के बाद मुंबई में कई कार्यक्रम छोड़कर मंगलवार को देर शाम मौलाना हाशिम अशरफी कानपुर वापस आ गए।

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गौरतलब है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मॉडल निकाहनामा के अनुसार जब काजी निकाह पढ़ायेंगे तो एकमुश्त तीन तलाक की पाबंदी लागू कराने के लिए निकाह के वक्त दूल्हे को शरई कानून की जानकारी दी जाएगी। बोर्ड का मानना है कि शरई जानकारी नहीं होने के कारण ही लोग गैर कानूनी तरीके से तलाक दे रहे हैं।
इस संबंध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मोहम्मद सुलेमान का कहना है मस्जिदों के पेशइमाम को पत्र लिखकर हर जुमा की नमाज के पूर्व लोगों को शरई जानकारी देने की गुजारिश करेंगे और बोर्ड के सभी सदस्य मुस्लिमों से संपर्क करेंगे।

क्या है निकाहनामा
निकाहनामा लड़का और लड़की के मध्य एक समझौता है, यदि दोनों के बीच तालमेल नहीं बैठ रहा है तो दोनों समझौता तोडऩे के लिए स्वतंत्र हैं।

अभी है व्यवस्था
-सबसे पहले लड़की से हामी भराई जाती है कि वह निकाह के लिए राजी है या नहीं।
-लड़की जब निकाह के लिए हां कर देती है, तभी लड़के का निकाह काजी पढ़ाते हैं।
-लड़की के लिए मेहर निर्धारित होती है।

ये है मॉडल निकाहनामा
हंसी खुशी जिंदगी गुजारें, यदि कभी तलाक की नौबत आ जाए तो एकमुश्त तीन तलाक का इस्तेमाल नहीं करें। कोई भी शख्स तीन तलाक के शरई नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे संवैधानिक कानून का सामना करना पड़ सकता है। 


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