बजरंग बली के गुणगान का बड़ा मंगल एक से
-59 दिन में पड़ेंगे नौ बड़े मंगल -अलीगंज के पुराने व नए हनुमान मंदिरों के पास लगेगा मेला
- 59 दिन में पड़ेंगे नौ बड़े मंगल
- अलीगंज के पुराने व नए हनुमान मंदिरों के पास लगेगा मेला
जागरण संवाददाता, लखनऊ: कलियुग के जागृत देव श्रीरामभक्त हनुमान, जिनका नाम लेने मात्र से सारे दु:ख दूर हो जाते हैं, ज्येष्ठ के बड़े मंगल पर उनकी पूजा-अर्चना को भक्त तैयार हैं। पवनसुत के गुणगान के लिए जहां मंदिरों में तैयारियां अंतिम दौर में चल रही हैं, वहीं श्रंगार के लिए बुकिंग पूरी हो गई है। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि एक मई को शुद्ध ज्येष्ठ मास की शुरुआत होगी। 16 मई से अधिक ज्येष्ठ मास की शुरुआत होगी। 28 जून को शुद्ध ज्येष्ठ मास का समापन होगा। पहला बड़ा मंगल एक मई को पड़ेगा तो दूसरा आठ मई, तीसरा 15 मई, चौथा 22 मई और पांचवां 29 मई को पड़ेगा। छठां पांच जून, सातवां 12 जून, आठवां 19 जून और अंतिम 26 जून को पड़ेगा।
पक्कापुल स्थित दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में 29 को अखंड रामायण पाठ से आयोजन शुरू हो जाएंगे। पुजारी श्रीराम ने बताया कि हर मंगल को भंडारा होगा। अलीगंज के नए हनुमान मंदिर में पहले दिन देशी-विदेशी पांच क्विंटल फूलों से मंदिर को सजाया जाएगा। अलीगंज के पुराने व नए मंदिरों के पास मेला लगेगा। हनुमान सेतु मंदिर में दर्शन की अलग से व्यवस्था की गई है। हजरतगंज स्थित दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, बीरबल साहनी मार्ग स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के अलावा लेटे हुए हनुमान मंदिर पर भी श्रद्धालुओं के दर्शन के विशेष इंतजाम किए गए हैं।
सोने-चांदी से सजेंगे बालाजी
तालकटोरा स्थित श्री बालाजी मंदिर पर ज्येष्ठ के हर मंगल को सोने चांदी के वर्क से बाबा का श्रगार किया जाएगा। पुजारी रमेश चंद्र द्विवेदी ने बताया कि सोने का क्षत्र चढ़ाने के साथ ही भक्तों की ओर से हर मंगल को भंडारा होगा। मंदिर के प्रबंधक डीएन अवस्थी ने बताया कि मंदिर में तैयारियां पूरी हो गई हैं। हर मंगल की देर शाम को बाबा के चरणों में भजनों का गुलदस्ता भी पेश किया जाएगा।
अलीगंज से हुई मेले की शुरुआत
ज्येष्ठ के पहले बड़े मंगल की शुरुआत अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर परिसर में मेले के रूप में हुई थी। इतिहासविद डॉ.योगेश प्रवीन ने बताया कि नवाब सआदत अली के कार्यकाल (1798-1814) के दौरान मंदिर का निर्माण हुआ था। उन्होंने अपनी मां आलिया बेगम के कहने पर मंदिर का निर्माण कराया था। संतान सुख की प्राप्ति होने पर आलिया बेगम ने मंदिर के निर्माण का वादा किया था। मंदिर के गुंबद पर चांद की आकृति ¨हदू-मुस्लिम एकता की कहानी बयां करता है। मंदिरों के निर्माण के बाद से यहां मेला लगने लगा। तब से यह परंपरा चलती आ रही है। पड़ी परिक्रमा करते हुए श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह भी कहा जाता है कि केसर का व्यापार करने व्यापारी आए थे राजधानी आए थे। उनका केसर बिक नहीं रहा था। नवाब वाजिद अली शाह ने पूरा केसर खरीद लिया था। वह महीना ज्येष्ठ का था और मंगल था। व्यापारियों ने इसकी खुशी में यहां भंडारा लगाया था और तब से यह परंपरा चल पड़ी।