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विलय के विरोध में राष्ट्रीयकृत बैंकों में हड़ताल, एटीएम खाली होने से नकदी संकट

बैंकों के विलय समेत विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार को बैंकों में हड़ताल रही। इस दौरान सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों में काम ठप रहा।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 26 Dec 2018 03:30 PM (IST)Updated: Wed, 26 Dec 2018 05:27 PM (IST)
विलय के विरोध में राष्ट्रीयकृत बैंकों में हड़ताल, एटीएम खाली होने से नकदी संकट
विलय के विरोध में राष्ट्रीयकृत बैंकों में हड़ताल, एटीएम खाली होने से नकदी संकट

लखनऊ, जेएनएन। यूनाइटेड फोरम ऑफ यूनियन्स के आह्वान पर जिले के बैंकों में हड़ताल रही। बैंककर्मियों ने सरकार की नीतियों के विरोध में मार्च निकाल कर हुंकार भरी। बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक एवं देना बैंक के विलय के विरोध प्रदर्शनकारियों का गुस्सा मुखर हुआ। हड़ताल से अरबों का कारोबार प्रभावित होने का दावा है। उल्लेखनीय है कि इस सप्ताह बैंकों की यह दूसरी बार हड़ताल है। इससे पहले बैंक अधिकारी वेतन के मसले पर 21 दिसंबर को हड़ताल कर चुके हैं।

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अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन

बैंकों के विलय समेत विभिन्न मांगों को लेकर सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों में काम ठप रहा। बैंक कर्मियों ने एकत्र होकर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। हड़ताल से उद्योग, व्यापार और आम जनजीवन प्रभावित पर काफी असर पड़ा है। एक दिन पहले से अवकाश होने के कारण ज्यादातर एटीम में भी कैश नहीं रखा जा सका। इससे लोगों को नकदी संकट का भी सामना करना पड़ा। हालांकि इस बीच निजी क्षेत्र के बैंक खुले होने से लोगों को कुछ राहत मिली। सरकार की ओर से बैंक आफ बड़ौदा में देना और विजया बैंक के विलय को सहमति दे दी गई है। इससे नाराज बैंक यूनियन्स ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। सरकार द्वारा बैंक आफ बड़ौदा, देना व विजया बैंक के विलय को मंजूरी देने कर्मचारियों ने आक्रोश जताया।

सभी पब्लिक सेक्टर बैंकों में हड़ताल 

यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के संयोजकों ने बताया कि यूपी में सभी पब्लिक सेक्टर बैंकों में अधिकारी व कर्मचारी हड़ताल पर रहे और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। मंगलवार को क्रिसमस के अवकाश के कारण बैंकों में अवकाश रहा। इस लिए एटीएम में भी कैश नहीं रखा गया। शाम को तो अधिकांश एटीएम कैशलेस हो गए। बुधवार को हड़ताल के चलते बैंक कार्य ठप रहा। इस कारण बुधवार को भी कैश नहीं रखा गया। इससे लोगों को एटीएम से भी नकदी मिलने की उम्मीद नहीं रही।   

जानें बैंक आफ बड़ौदा को

बैंक ऑफ बड़ौदा की शुरुआत आज़ादी से पूर्व 1908 में बड़ौदा के महाराजा सयाजी राव गायकवाड ने की थी। देश की सरकार द्वारा 1969 में इसका राष्ट्रीयकरण किया गया था। बैंक की 3.58 ट्रिलियन संपत्ति इससे असेट्स के आधार पर देश का सबसे बड़ा बैंक बनाती है। इसका मुख्यालय गुजरात के बडोदरा में है। बैंक का कॉर्पोरेट ऑफिस मुंबई में है। अब विजया बैंक और देना बैंक का विलय इसी में होना प्रस्तावित है। इससे पहले बरेली कारपोरेशन बैंक का भी विलय इसी बैंक में हो चुका है।

 
 

बैंकिंग सिस्टम क्या है?

देश में बैंकिंग सिस्टम का विकास ब्रिटिश शासनकाल में हुआ। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश में तीन बैंक 1809 में बैंक ऑफ बंगाल, 1840 में बैंक ऑफ बॉम्बे और 1843 में बैंक ऑफ मद्रास स्थापित किए। इन तीनों बैंकों को मिलाकर इंपीरियल बैंक अस्तित्व में आया जिसे 1955 में एसबीआई ने अधिग्रहण कर लिया था। बैंक एक वित्तीय संस्था है जिसे पैसा जमा करने और ज़रूरतमंद लोगों को लोन देने का लाइसेन्स प्राप्त होता है। बैंक करेंसी एक्सचेंज, वेल्थ मैनेजमेंट, फाइनेंशियल सर्विसेज और सेफ डिपॉजिट बॉक्स जैसी अन्य सेवाएँ भी देते हैं। पैसे जमा करना और बिजनेसमैन और लोगों को ऋण देने के साथ ही बैंक के कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य है जैसे कि पेमेंट का भुगतान करना, पैसे सुरक्षित रखना और सिक्योरिटी फंडस में पैसा निवेश करना है।


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