बलरामपुर-सिविल अस्पताल में जनऔषधि केंद्रों पर दवा का अवैध धंधा
लखनऊ जेएनएन। सरकारी अस्पतालों में निजी वेंडर से जनऔषधि केंद्र का करार समाप्त हो गया है
लखनऊ, जेएनएन। सरकारी अस्पतालों में निजी वेंडर से जनऔषधि केंद्र का करार समाप्त हो गया है। वहीं, खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने लाइसेंस भी निरस्त कर दिया है। फिर भी शहर के दो अस्पतालों में अवैध तरीके से बुधवार को मरीजों को दवा बेची गई। उधर, अधिकारी गोलमोल जवाब दे रहे हैं।
शहर में कुल 72 जनऔषधि केंद्र हैं। इनमें से 12 सरकारी अस्पतालों में खुले हैं। इनमें जनऔषधि केंद्र संचालन के लिए सरकार ने निजी वेंडर के साथ करार किया था। ऐसे में केंद्र सरकार के उपक्रम बीपीपीआइ व राज्य सरकार की हेल्थ एजेंसी साची ने निजी वेंडर के साथ करार समाप्त कर दिया। साथ ही दवा बिक्री पर भी रोक लगा दी। लिहाजा, खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने तत्काल सभी सरकारी जनऔषधि केंद्रों का लाइसेंस निरस्त कर दिया। ऐसे में केजीएमयू, लोहिया, बीआरडी, लोकबंधु और आरएसएम अस्पताल सहित सभी सरकारी अस्पतालों के जनऔषधि केंद्रों पर ताला पड़ गया। ऐसे में बलरामपुर अस्पताल व सिविल अस्पताल में बुधवार को फार्मेसी खुलीं। फिर भी यहां अवैध तरीके से बिक रही दवा पर अधिकारी भी मूक दर्शक बने रहे। मरीजों के नुकसान पर कौन होगा जवाबदेह इन केंद्रों पर हजार से अधिक दवाएं होने का दावा किया जा रहा है। अब वेंडर से करार निरस्त होने के बावजूद कौन सी दवा बिक रही है। किसी मरीज को गलत दवा से नुकसान होने पर जवाबदेही किसकी होगी। इस पर जिम्मेदार खामोश हैं। क्या कहते हैं अफसर मरीजों को समस्या न हो इसलिए जनऔषधि केंद्र खुलवाया था। इसे लेकर मैं शासन से बात करूंगा। इसके बाद इन्हें बंद करने का निर्देश वेंडर को दूंगा। डॉ. राजीव लोचन, निदेशक, बलरामपुर अस्पताल -जनऔषधि केंद्र के वेंडर का टेंडर निरस्त होने की जानकारी नहीं है। बड़े बाबू अवकाश पर थे। ऐसे में आदेश की जानकारी न होने से बुधवार को फार्मेसी खोली गई। डॉ. एसके नंदा, सीएमएस, सिविल अस्पताल -सरकारी अस्पतालों में खुले जनऔषधि केंद्रों का लाइसेंस निरस्त किया जा चुका है। वेंडर अब उन पर दवा बिक्री नहीं कर सकते हैं। इन दुकानों को बंद कराया जाएगा। बिना लाइसेंस दवा बेचना अवैध है। बृजेश कुमार, ड्रग इंस्पेक्टर