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लखनऊ में अजान के साथ होगा बजरंग बली का गुणगान

रमजान के महीने के साथ में शुरू हुआ जयेष्ठ का बड़ा मंगल आजान के साथ गूंजेंगे जयकारे।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 04 May 2020 02:53 PM (IST)Updated: Mon, 04 May 2020 02:53 PM (IST)
लखनऊ में अजान के साथ होगा बजरंग बली का गुणगान
लखनऊ में अजान के साथ होगा बजरंग बली का गुणगान

लखनऊ,[ जितेंद्र उपाध्याय]। गंगा जमुनी विरासत को अपने आंचल में समेटे शहर-ए-लखनऊ का हर रंग आमोखास को अपनी ओर खींचता है। पुराने लखनऊ में अली और बजरंग बली का प्रतीक मौजूद है तो पुराने हनुमान मंदिर के गुंबद पर चांद का निशान हमारी पुरानी परंपरा को वर्तमान समय में भी एकता के सूत्र में बांधता है। रमजान का पाक महीना चल रहा है। मुस्लिम समाज के लोग घर में कुरआन की तिलावत कर रहे हैं तो अजान के साथ सहरी और इफ्तारी का दौर भी इबादत का हिस्सा बन चुका है। ज्येष्ठ मास के बड़े मंगल एक बार फिर गंगा जमुनी रंग नजर आएगा। 12 मई से शुरु होने वाले ज्येष्ठ के बड़े मंगल पर एक ओर जहां घरों में बजरंग बली का गुणगान तो दूसरी अोर मुस्लिम समाज के लोग घरों में कुरआन पाक की तिलावत कर अल्लाह से खुशहाली की दुआ करेंगे।

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ऐसे शुरू हुआ ज्येष्ठ का बड़ा मंगल

ज्येष्ठ मास के बड़े मंगल की शुरुआत को लेकर कई कथानक हैं। राजधानी के मुख्य तीन मेलों में अलीगंज के हनुमान मंदिर पर ज्येष्ठ मास के मंगल के मेले को भी शामिल किया गया है, लेकिन इस बार मेले के बजाय घरों में ही बजरंग बली का गुणगान करने का आह्वान किया गया है। पद्मश्री डॉ.योगेश प्रवीन ने बताया कि मंदिर की स्थापना नवाब शुजाउद्दौला की बेगम और दिल्ली की मुगलिया खानदान की बेटी अालिया बेगम ने कराई थी। 1792 से 1802 के बीच मंदिर का निर्माण हुआ था। बताया जाता है कि इस्लाम बाड़ी में बेगम साहिबा ने अर्जी लगाई थी और उनके सपने में बजरंग बली आए थे। बजरंग बली ने सपने में टीले में प्रतिमा होने का हवाला दिया था। बस बेगम ने टीले को खोदवाया आैर बजरंग बली की प्रतिमा को हाथी पर रखकर मंगाया। गोमतीपार प्रतिमा स्थापित करने की मंशा के विपरीत हाथी अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर से आगे नहीं बढ़ सका। बस उत्सव के साथ मंदिर की स्थापना की गई।

चांद का निशान वर्तमान समय में एकता और भाईचारे की मिसाल पेश करता है। स्थापना काल के दो तीन वर्षो के बाद प्लेग और बीमारी को दूर करने के लिए बेगम ने बजरंग बली का गुणगान किया तो महामारी समाप्त हो गई। उत्सव का आयोजन किया गया। आयोजन के दिन मंगलवार था और ज्येष्ठ मास का महीना था। बस फिर उसी समय से शुरू हुआ बड़ा मंगल लगातार जारी है। हिंदू- मुस्लिम दोनों ही उत्सव में मिलकर हिस्सा लेते हैं। रमजान के इस पाक महीने में एक बार फिर गंगा जमुनी तहजीब का रंग अवध में एकता का पैगाम देगा।

ज्येष्ठ मास आठ से,पहला बड़ा मंगल 12 मई को

वैसे तो ज्येष्ठ मास की शुरुअात आठ मई को होगी, लेकिन पहला बड़ा मंगल 12 मई को पड़ेगा। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि इस बार चार मंगल पड़ेंगे। दूसरा मंगल 19 मई, तीसरा, 26 मई और चौथा व अंतिम मंगल चार जून को पड़ेगा। मंदिर के बजाय घरों में ही पूजन करना श्रेयस्कर रहेगा। घर में भोग लगाकर गरीबों की मदद करने का संकल्प लेना चाहिए।

इमाम ईदगाह ऐशबाग मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली

रमजान-ए-पाक महीने में अल्लाह की इबादत करने वाले के हर पाप नष्ट हो जाते हैं। रमजान के पाक महीने में ज्येष्ठ के दो बड़े मंगल पड़ेंगे जो हमारी पुरानी विरासत को एकता अोर भाईचारे के रंग में रंगने का काम करेंगे। हम सभी को मिलकर लॉकडाउन के पालन के साथ यतीमों की मदद करनी चाहिए।

गंगा जमुनी विरासत की बात होती है तो अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर के गुंबद पर बना चांद का निशान उसे और मजबूती प्रदान करता है। इस समय समाज को कोरोना के संक्रमण से बचाना है। ऐसे में बड़े मंगल पर सभी को गरीबों की मदद करने का संकल्प लेना चाहिए।


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