खराब टायर, शिपिंग कंटेनर और कांच की बोतलों से लखनऊ में बनेगा कबाड़ पार्क; एलडीए ने चिन्हित की जमीन
राजधानी से निकलने वाले कबाड़ का प्रयोग लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) अब उपयोगी वस्तुओं को बनाने में करेगा। इस प्रोजेक्ट में लविप्रा की मद्द करेंगे आइआइटी खड्गपुर और कानपुर के विशेषज्ञ। जनेश्वर मिश्र पार्क के गेट नंबर छह से लगे हुए दो एकड़ का क्षेत्रफल चिन्हित किया गया है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। राजधानी से निकलने वाले कबाड़ का प्रयोग लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) अब उपयोगी वस्तुओं को बनाने में करेगा। इस प्रोजेक्ट में लविप्रा की मद्द करेंगे आइआइटी खड्गपुर और कानपुर के विशेषज्ञ। जनेश्वर मिश्र पार्क के गेट नंबर छह से लगे हुए दो एकड़ का क्षेत्रफल चिन्हित किया गया है। इस क्षेत्र में कबाड़ का उपयोग करके पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा। बच्चों के झूलने के लिए झूले भी कबाड़ से बनेंगे और मिनी गोल्फ स्टेडियम भी कबाड से। भोजनालय और कैफेटेरिया भी कबाड़ पार्क की शोभा बढ़ाएगा। कुल मिलाकर हर वर्ग को ध्यान में रखकर इसे बनाया जाएगा। हर कबाड़ से बनी वस्तु पर क्यूआर कोड होगा, स्कैन करते ही कोई भी जान सकेगा कि किस कबाड़ से कैसे, कब और किस विधि से संबंधित उपकरण को बनाया गया है। यूपी में यह प्रयोग पहली बार लखनऊ में हो रहा है।
आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञ बताते हैं कि पार्क के प्राकृतिक स्वरूप से कोई छेड़छाड़ नहीं होगा। यहां इस्तेमाल होने वाली चीजों में खराब ट्रकों व अन्य वाहनों के टायरों का उपयोग किया जाएगा, इसके अलावा साइकिल के रिम, स्क्रेप, पुरानी प्लास्टिक शीट, कांच की बोतले, प्लास्टिक के ड्रम, खराब शिपिंग कंटेनर का उपयोग किया जाएगा। पार्क में टहलने के लिए जो ट्रैक होगा, उसका उपयोग भी कबाड़ से किया गया होगा। इस पर्यावरण संरक्षण की पहले कार्बन डी आक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा। इस संबंध में लविप्रा के अधिशासी अभियंता अवनीन्द्र कुमार सिंह अभियंत्रण जोन एक के साथ आइआइटी कानपुर व खड्गपुर के विशेषज्ञों ने जनेश्वर मिश्र पार्क का निरीक्षण करके पूरी रिपाेर्ट तैयार की। इससे पहले अफसरों के समक्ष एक पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण भी दिया।
यह सुविधाएं भी रहेंगीः प्ले एरिया रहेगा, रैपिड एक्शन जोन, स्लो एक्शन जोन, पेंट बाल एरिया की सुविधा रहेगी। कुल मिलाकर यहां लोग सुकून महसूस करे, कुछ ऐसा खाका विशेषज्ञों द्वारा